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पिथौरागढ़ की श्वेता पंत बनी असिस्टेंट प्रोफेसर, सफलता की कहानी प्रेरणा से कम नहीं


Pithoragarh Success Story: Shweta Pant Assistant Professor:

उत्तराखंड की बेटियों की सफलता आज हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। क्योंकि अनेकों चुनौतियों एवं बदलते दौर में भी उत्तराखंड ने हमेशा बेटियों को सम्मान देने के साथ उन्हें नए अवसरों से भी परिचित कराया है। लेकिन हमारे राज्य में कई ऐसे दूरस्त क्षेत्र हैं जहां नई सोच के साथ-साथ बेटियों को छूट और अपने सपने पूरे करने की आजादी या तो मिलती नहीं है और अगर मिलती भी है तो उनका रास्ता काँटों से भरा होता है। लेकिन इसमें भी एक बिन्दु है जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता और वह बिन्दु है परिवार का साथ। आज हम आपको पिथौरागढ़, बेरीनाग के बरसायत में रहने वाली श्वेता पंत की सफलता के बारे में बताएंगे। श्वेता ने अपनी उपलब्धि से पूरे क्षेत्र और जिले के साथ-साथ पूरे प्रदेश की बेटियों का मनोबल बढ़ाया है।

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परिश्रम से मिली हर बार सफलता

श्वेता पंत का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ है। इस चयन के बाद से ही उनके परिवार को सभी परिचितों एवं प्रबुद्ध जनों से शुभकामनाएं प्राप्त हो रही हैं। राजकीय जूनियर हाई स्कूल बरसायत से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने वाली श्वेता ने बेरीनाग महाविद्यालय से ही अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी की है। श्वेता ने B.Ed कर नेट समेत पीएचसी की परिक्षाओं में भी सफलता प्राप्त की। साथ ही वर्ष 2020 में जीआईसी थल में श्वेता का चयन भूगोल के प्रवक्ता के पद पर भी हो चुका है। अपनी मेहनत और अटल लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ने वाली श्वेता का चयन अब लोक सेवा आयोग द्वारा उच्च शिक्षा में राजकीय महाविद्यालय गरूड़ में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हो चुका है। इस सफलता से उनका परिवार फूले नहीं समा रहा है।

क्या करते हैं माता-पिता?

बता दें कि श्वेता के पिता त्रिलोचन पंत सरस्वती शिशु मंदिर में 37 वर्ष तक आचार्य पद पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वहीं श्वेता की माता पुष्पा पंत गृहणी है। बचपन से अपनी बेटी को शिक्षा का महत्व समझाकर श्वेता के माता-पिता ने केवल श्वेता का ही नहीं बल्कि सैकड़ों बच्चों का जीवन भी सुधार है और उनके उज्ज्वल भविष्य में अपना अतुल्य योगदान दिया है।

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