Success Story: Ias Rukmani Riar: देश की सबसे कठिन परीक्षाओं की बात करें तो संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा की चर्चा शुरू हो जाती है। हर साल लाखों युवा यूपीएससी परीक्षा का हिस्सा बनते हैं लेकिन कुछ ही को कामयाबी मिल पाती है। वैसे यूपीएससी उत्तीर्ण करने वाले हर अभ्यर्थी की अपनी ही कहानी है। कोई बिना कोचिंग से कामयाब होता है तो कोई बिना संसाधनों के… हर कहानी अपने आप में एक उदाहरण है। वहीं कई अभ्यर्थी ऐसे भी होते हैं जो लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर समाज से जुड़ने के लिए सिविल सेवा का हिस्सा बनते हैं।
सोशल मीडिया पर आपने कई आईएएस अधिकारियों के इंटरव्यू देखे होंगे और उन्हें लाखों युवा पसंद करते हैं क्योंकि कुछ मिनट के वीडियो उन्हें ऐसी टिप्स दे देते हैं जो शायद ही किसी किताब में मिले। इसके अलावा इतने बड़े एग्जाम की तैयारी करने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है और यह वीडियो तैयारी कर रहे युवाओं में ऊर्जा का संचार करती है। हल्द्वानी लाइव डॉट कॉम पिछले कुछ वक्त से युवाओं के लिए मोटिवेशनल कहानी लेकर आ रहा है क्योंकि इंटरनेट पर समय बर्बाद करने के लिए तो काफी कंटेंट मिल जाएगा लेकिन हम चाहते हैं कि कुछ ऐसा कंटेंट भी बनाया जाए जो युवाओं को प्रेरित करें।
कौन हैं आईएएस रुक्मिणी रियार
इस लेख में हम आपकों आईएएस रुक्मिणी रियार के बारे में बताने जा रहे हैं जो स्कूल में छठी कक्षा में फेल हुई थी। अब फेल होना कोई जुर्म तो है नहीं लेकिन एक साल की कीमत वही छात्र समझ सकता है जिसने एक कक्षा को दोबारा पढ़ा हो। आईएएस अफर रुक्मिणी रियार पंजाब के गुरदासपुर की रहने वाली हैं। यूपीएससी परीक्षा 2011 में रुक्मिणी रियार ने ऑल इंडिया लेवल पर दूसरी रैंक हासिल की थी। उन्होंने UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं ली थी।
रुक्मिणी रियार की शुरुआती शिक्षा उनके गृह जनपद से ही हुई। चौथी क्लास में उन्होंने डलहौजी के सेक्रेड हार्ट स्कूल में प्रवेश लिया। रुक्मिणी रियार के परिवार ने उन्हें बोर्डिंग स्कूल भेज दिया। हालांकि पढ़ाई के दौरान रुक्मिणी 6ठी क्लास में फेल हो गई। उनका मनोबल टूट गया था और वो शर्म महसूस कर रही थी। कुछ वक्त बाद वो इन चीजों से बाहर निकल गई। छठी क्लास की घटना ने उनके जीवन को बदल दिया।
रुक्मिणी रियार ने इंटर करने के अमृतसर के गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया। रुक्मिणी ने सोशल साइंस में स्नातक की डिग्री हासिल की। उसके बाद मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट से सामाजिक विज्ञान में मास्टर्स किया और गोल्ड मेडलिस्ट भी बनीं। इसके बाद उन्होंने समाजिक संस्थानों के काम किया और इसी दौरान उन्होंने आईएएस बनने का सपना देखा और तैयारी शुरू कर दी।
उन्होंने कोचिंद ज्वाइन नहीं बल्कि स्कूल की किताबों का अध्ययन शुरू कर दिया। उन्होंने 6ठी से 12वीं तक की एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई शुरु की। इंटरव्यू की तैयारी के लिए उन्होंने अखबार को दोस्त बना लिया। फिर अपनी तैयारियों को मापने के लिए माॅक टेस्ट में शामिल हुईं। उन्होंने पिछले सालों के प्रश्न पत्र हल किए। उनके परिश्रम को फल मिला और यूपीएससी 2011 में रुक्मिणी की अखिल भारतीय रैंक दूसरी हासिल हुई। उन्होंने अपने जज्बे से बता दिया कि कामयाबी की कोई उम्र नहीं होती है। जो सपने व्यक्ति देखता है वे पूरे जरूर होते हैं।