Sushila Bhoj Mountain Climber: Almora Success Story:
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की बेटी सुशीला भोज ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जिसने न केवल अल्मोड़ा बल्कि पूरे प्रदेश का नाम गर्व से ऊंचा किया है। सुशीला ने अरुणाचल प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी, माउंट गोरीचेन (6488 मीटर) को फतेह कर यह साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
शिखर पर नारी शक्ति
बीते गुरुवार को सुबह 5:30 बजे सुशीला भोज ने माउंट गोरीचेन की कठिन चढ़ाई पूरी की और भारतीय ध्वज को शीर्ष पर फहराया। इस ऐतिहासिक चढ़ाई में 27 सदस्यीय दल का नेतृत्व नायब सूबेदार जयपाल सिंह रावत ने किया, जिसमें सुशीला अकेली महिला प्रशिक्षक थीं। यह 14 दिवसीय पर्वतारोहण अभियान एक कठिन यात्रा थी, लेकिन सुशीला की मेहनत और समर्पण ने इसे सफलता में बदला।
हर नुश्किल पार कर मंजिल तक पहुंची सुशीला
सुशीला भोज का यह सपना बचपन से था, जब उन्होंने पर्वतारोहण को अपना जुनून बना लिया था। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें यह महत्वपूर्ण सफलता दिलाई। इससे पहले, सुशीला ने लद्दाख की चोटी को भी फतेह किया था। वह राष्ट्रीय पर्वतारोहण संस्थान (निमास) में प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं और उन्होंने पर्वतारोहण के क्षेत्र में कई युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया है।
उत्तराखंड के युवाओं के लिए प्रेरणा
सुशीला की इस ऐतिहासिक उपलब्धि से उत्तराखंड के युवाओं को एक प्रेरणा मिलती है कि अगर मन में लक्ष्य हो और मेहनत के साथ जुनून हो, तो कोई भी कठिनाई बड़ी नहीं होती। वह बताती हैं कि उनके लिए यह यात्रा सिर्फ एक चढ़ाई नहीं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने का एक माध्यम था।
सुशीला भोज की तरह, उत्तराखंड के युवा भी अगर अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से किसी भी लक्ष्य की ओर बढ़ें, तो वे भी सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं। पर्वतारोहण से लेकर खेल, शिक्षा और कला तक हर क्षेत्र में उत्तराखंड के युवा अपनी पहचान बना सकते हैं।
कुछ भी असंभव नहीं
आज सुशीला भोज की यह उपलब्धि हमें यह सिखाती है कि हम चाहे किसी भी क्षेत्र में हों, यदि हमारे पास सच्ची लगन, मेहनत और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता हो, तो सफलता अवश्य मिलेगी। सुशीला की तरह अपने सपनों को सच करने के लिए आज ही एक कदम बढ़ाएं और अपनी मंजिल को हासिल करें!