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नहीं रहे देवभूमि से निकले मशहूर कवि मंगलेश डबराल, दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन


हल्द्वानी: ” परछाई उतनी ही जीवित है जितने तुम, तुम्हारे आगे पीछे, या तुम्हारे भीतर छिपी हुई, या वहाँ जहाँ से तुम चले गए हो। ” मशहूर साहित्यकार मंगलेश डबराल का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। समकालीन कवियों में बहुचर्चित नाम थे मंगलेश डबराल। उत्तराखंड से निकल कर देश विदेश में अपनी सुनहरी कलम का जलवा दिखाने वाले मंगलेश के निधन की खबर मिलते ही उनके परिवार जनों, मित्र जनों और चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई।

जानकारी के अनुसार 27 नवंबर को मंगलेश डबराल की तबीयत खराब होने पर उन्हें वसुंधरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बताया जा रहा है कि उनकी कोरोना रिपोर्ट भी पॉज़िटिव आई थी मगर इलाज के बाद वे स्वस्थ हो गए थे। लेकिन किडनी में इंफेक्शन के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद उन्हें चार दिसंबर को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रख दिया। जानकारी के अनुसार ऑक्सीजन लेवल में कमी से उनकी किडनियों ने काम करना बंद कर दिया था। बुधवार को उन्हें लगातार दो दिल के दौरे पड़े, जिसके चलते वे अब हमारे बीच नहीं रहे।

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मंगलेश डबराल मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले थे। वे जनसंस्कृति मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। मंगलेश ने अपनी कविताओं, गद्य और अनुवाद के कारण ही इतनी प्रसिद्धि पाई है और तो और वे साहित्य अकादमी अवार्ड से भी नवाजे जा चुके हैं। यह पुरूस्कार उन्हें साल 2000 में मिला था। उनके परिवार में उनकी पत्नी संयुक्ता, बेटा मोहित और बेटी अलमा है।

मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई 1948 को हुआ था। समकालीन कवि के तौर पर प्रसिद्ध डबराल की शिक्षा देहरादून में ही हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में कई पत्र पत्रिकाओं में काम किया। बता दें कि उनकी कविताओं के अंश हिन्दुस्तानी भाषा के साथ साथ अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, डच, स्पेनिश, पुर्तगाली, इतालवी, फ्रांसीसी, पोलिश और बुल्गारियाई भाषाओं में भी प्रकाशित हो चुके हैं। कविताओं के अलावा उन्हें साहित्य, सिनेमा, संचार मीडियम और संस्कृति के विषयों पर लिखने का भी खासा शौक था।

उनकी प्रसिद्ध रचनाओं पर नजर डालें तो एक नहीं कई नाम आंखों के आगे से हो कर गुजरते हैं। ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘नए युग में शत्रु’, ‘हम जो देखते हैं’ आदि रचनाएं उनकी लेखनी का स्तर बयान करती हैं। डबराल को साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा अन्य कई पुरस्कार जैसे शमशेर सम्मान, स्मृति सम्मान, पहल सम्मान और हिंदी अकादमी दिल्ली के साहित्यकार सम्मान भी मिल चुके हैं।

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