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उत्तराखंड की जेलों में बंद हजारों कैदी नहीं दे पाएंगे वोट लेकिन चुनाव लड़ सकते हैं…

हल्द्वानी: क्या आपकों पता है कि जेल में बंद कैदी चुनाव लड़ सकता है लेकिन वोट नहीं दे सकता है। जब व्यक्ति जेल में बंद होता है तो उसके शेष अधिकार भी निलम्बित रहते है।आरपी एक्ट 1951 की धारा 62 के तहत यदि कोई व्यक्ति जेल में बंद है, वह सजायाफ्ता या अंडरट्रायल कैदी है, तो भी उसे वोट डालने का अधिकार नहीं है।

उत्तराखंड में 14 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं और कैदी वोट के अधिकार से दूर रहेंगे। उत्तराखंड की अलग-अलग जेलों मेंं करीब साढ़े छह हजार लोग वर्तमान में बंद हैं। इनमें सजायाफ्ता से ज्यादा संख्या अंडर ट्रायल लोगों की हैं।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान किसी मामले में जेल में बंद एक व्यक्ति ने वोट का अधिकार की बात बोलकर मतदान करने की अनुमति मांगी थी। तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने आइजी जेल से रिपोर्ट तलब की थी। जिसके बाद आइजी जेल ने एक्ट का हवाला देकर वोटिंग का अधिकार न होने की बात कहीं थी।  राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए), गुंडा एक्ट तथा शांतिभंग की 107-116 व 151 की धाराओं में बंद कैदियों को ही वोट देने की व्यवस्था की जाती है। 

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