हल्द्वानी: हमारे देश में, हमारे ग्रंथों में शिक्षण संस्थानों यानी विद्यालयों आदि को मंदिर का दर्जा मिला हुआ है। विद्यालय को लोग मंदिर के रूप में देखते हैं और शिक्षकों को भगवान के रूप में। हमारे माता पिता के साथ अगर कोई है जो हमें ज़िन्दगी के बारे में बहुत कुछ सिखाता है तो वे हमारे शिक्षक ही हैं। जब शिक्षकों द्वारा कोई नेक काम किया जाता है तो अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति होना जायज़ है। ऐसी ही एक सुंदर मुस्कान देने वाली खबर है धारकोट क्षेत्र की।
यहां की दो शिक्षिकाओं ने धारकोट के एक प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर बदल कर रख दी है। साफ-सुथरे क्लासरूम, सामाजिक संदेशों से सजी दीवारें और स्वच्छ स्कूल परिसर। दरअसल यमकेश्वर के प्राथमिक विद्यालय कहने को तो एक सरकारी स्कूल है, लेकिन पढ़ाई और सुविधाओं के मामले में प्राइवेट स्कूलों से ज़रा भी कम नहीं है। धारकोट के प्राथमिक विद्यालय के कायाकल्प का सारा श्रेय यहां की दो शिक्षिकाओं को जाता है। इन दोनों शिक्षिकाओं ने लॉकडाउन होने के बाद ना सिर्फ अपने शिक्षक होने का फर्ज अदा किया, बल्कि विद्यालय को एक खूबसूरत रूप देने में भी सहायता की।
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धारकोट के यमकेश्वर ब्लॉक में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की हालत भी पहले दूसरे सरकारी स्कूलों की तरह हुआ करती थी। लेकिन यहां की प्रधानाध्यापिका रेखा शर्मा और सहायक अध्यापिका सुनीता नेगी ने अपनी मेहनत और लगन के चलते स्कूल की हालत ना सिर्फ सुधारी बल्कि इसे बेहतरीन बनाने का काम किया। आज ये दोनों शिक्षिकाएं अपनी मेहनत और लगन के बूते पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय और लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।
दरअसल मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद जब सभी शिक्षक गण अपने अपने घरों को लौट गए तब रेखा शर्मा और सुनीता नेगी ने अपनी इस खूबसूरत सोच को ज़मीन पर उतारने का काम शुरू किया। दोनों ही कई समय से स्कूल को सुधारना चाहते थे, मगर वक्त और पर्याप्त संसाधनों की कमी के चलते पहले ऐसा हो नहीं सका। मगर लॉकडाउन में उन्हें वक्त मिला, चाहने को वे भी अपने घर जा सकती थी लेकिन उन्होंने इस कीमती वक्त का बेहतर इस्तेमाल किया। जून में इन्होंने स्कूल का सुंदरीकरण कार्य कराया। इसके लिए सरकार द्वारा दी गई अनुदान राशि का इस्तेमाल किया गया, अपने स्तर से भी दोनों ने संसाधन जुटाए। आज इनकी मेहनत के बलबूते छात्रों को एक प्राथमिक विद्यालय में प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर स्तर पर पढ़ाई मिल रही है और साथ ही साथ बेहतर संसाधन भी।
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प्रधानाध्यापिका रेखा शर्मा का कहना है कि सरकार द्वारा दी गई अनुदान राशि से स्कूल की हालत सुधारी गई। इसके बाद रूपांतरित विद्यालय कायाकल्प योजना के तहत भी उन्हें अनुदान मिला, जिसके बलबूते स्कूल में कई अन्य काम करवाए गए। स्कूल के लिए सरकार द्वारा 2 लाख 80 हजार रुपयों के बजट का प्रावधान किया गया था।
फिलहाल धारकोट के इस स्कूल में 30 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल में मुख्य तौर पर यह ध्यान दिया जाता है कि बच्चों को हर क्षेत्र और पहलू के बारे में जानकारी मिले और उनका सर्वांगीण विकास हो। प्रधानाध्यापिका और सहायक अध्यापिका के बीच बेहतर आपसी तालमेल के चलते ये स्कूल पूरे प्रदेश में शिक्षा और सुंदरीकरण की मिसाल बन गया है। तमाम जगहों से लोग इन दोनों शिक्षिकाओं की मेहनत और लगन को सलाम कर रहे हैं। वाकई में गुरु भगवान का रूप होते हैं, यह बात इन दोनों शिक्षिकाओं ने सिद्ध कर दी।