हल्द्वानी: भारतीय घरेलू क्रिकेट सीजन में पहली बार भाग ले रही उत्तराखण्ड टीम दिन प्रतिदिन अपने प्रदर्शन से सुर्खियों में है। सभी को चौकाते हुए नॉक आउट में पहुंची टीम उत्तराखण्ड ने गत विजेता विदर्भ के सामने संघर्ष नहीं बल्कि चुनौती पेश की है। 44 पर तीन विकेट खोने के बाद टीम ने ऐसा खेल दिखाया जिसने सभी को उसका मुरीद बना दिया। टीम के लिए एक बार फिर सौरभ रावत ने शतक जड़ा। सौरभ 108 रन की पारी खेलकर आउट हुए। इस पारी में 15 चौके और 2 छक्के शामिल थे। सौरभ का विकेट उमेश यादव ने लिया।
रावत का इस सीजन यह तीसरा शतक है जिसमें एक दोहरा शतक शामिल है। साल 2018/2019 सीजन की 9 पारियों रावत के बल्ले से 500 से ज्यादा रन निकले हैं। उनका औसत 60 से ऊपर रहा है। खास बात यह कि उनकी यह पारियां टीम के लिए संजीवनी की तरह साबित हुई है।
इस बल्लेबाज ने विजय हजारे के पहले मैच के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा है। बता दें कि उत्तराखण्ड रणजी टीम से पहले रावत ओडिशा रणजी टीम के सदस्य थे। राज्य को मान्यता ना होने के बाद उन्हें दूसरे स्टेट से खेलना पड़ा। साल 2018 में बीसीसीआई ने उत्तराखण्ड को रणजी खेलने की अनुमति दी तो रावत अपने राज्य की टीम में शामिल हो गए। सौरभ रावत मूल रूप से नैनीताल जिले में स्थित हल्द्वानी के रहने वाले हैं। उनके कोच दान सिंह कन्याल ने बताया कि सौरभ मानसिक रूप से काफी मजबूत है। उसने अपनी मानसिक मजबूती को हर पारी में दिखाया है।
बता दें कि सौरभ के पिता आन्नद सिंह रावत एनएचपीसी बनबसा में कार्यकृत है वहीं मां गीता रावत हाउस वाइफ है। सौरभ के शतक के बाद परिवार में काफी खुशी है। पिता आनन्द सिंह रावत ने बताया कि खुशी है कि उसने अपने क्रिकेट खेलने के फैसले पर कामयाबी पाई है।हर कोई क्रिकेटर्स की जिंदगी को आसान सोचता है लेकिन असल में इस कामयाबी के राह में कई बार तनाव का सामना करना पड़ता है। सौरभ की मेहनत ने आज उसे ये कामयाबी दी है और हम उम्मीद करते हैं कि वो आगे भी इसी तरह से क्रिकेट के मैदान पर ऐसा प्रदर्शन करेगा।