देहरादून:रुड़की में गंगनहर नहाने के लिए खतरनाक है। इसमें आधा दर्जन से अधिक घाट डेथ प्वाइंट साबित हो रहे है। बात पिछले एक महीने की करें तो 47 लोग नहर में डूब चुके हैं। हैरानी भरी बात ये है कि खतरनाक प्वाइंट होने के बाद भी केवल तीन जल पुलिस कर्मियों के भरोसे काम चल रहा है। मरने वालों की संख्या अधिक हो सकती थी लेकिन स्थानीय लोग पुलिसकर्मियों का फर्ज अदा करते है और लाचार व्यवस्था का आइना दिखाते है लेकिन प्रशासन सबक सिखने के मूड में नजर नहीं आ रहा है। देवभूमि में स्थित गंगनहर में देव के रूप में स्थानीय तैराक मोनू है। जलवीर मोनू आठ साल में 187 डूबतों की जान बचा चुका है।
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जीवनदायिनी गंगनहर तेजी लोगों की जिंदगी पर खतरनाक साबित हो रही है। इसका मुख्य है कारण ये भी है कि कई घाटों में चैन नहीं है। लोगों के चेतावनी देने के लिए बोर्ड भी नहीं है। रुड़की जल पुलिस में मात्र तीन जवान तैनात है। उस पर जल पुलिस की मोटर बोट भी कुछ माह से खराब पड़ी है। ऐसे में इन तीन जवानों का भी होना-न होना बराबर है। नहर के खतरनाक हो चुके प्वाइंट पर हर दिन लोग डूब रहे हैं। गंगनहर में कोई नहाने के कारण मौत के मुंह में जा रहा है तो कोई पैर फिसलने के कारण। जब तक वह मौके पर पहुंचती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसे में स्थानीय गोताखोर डूबतों की जान बचाकर जिम्मेदारों को आईना दिखा रहे हैं।
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कौन है मोनू
रुड़की निवासी 30 साल का मोनू करीब 187 लोगों की जान बचा चुका है। मोनू अपना जीवन चलाने के लिए जल पुलिस चौकी के ठीक सामने चाय बेचने का काम करता है। दिन-रात इसी ठीये पर ही रहता है और पिछले आठ साल से गंगनहर में डूबने वालों की जान बचा रहा है। मोनू को लोगों की जान बचाने में सूकून मिलता है। उसकी कार्यकुशलता को देखते हुए खुद पुलिस उसकी मदद लेती है।
news source-www.jagran.com