हल्द्वानी: प्रदेश का रोडवेज विभाग पिछले काफी समय से घाटे में जीवन जी रहा है। अपने कर्मचारियों को भी रोडवेज ने अब पुराना वेतन देना शुरू किया है। बहरहाल रोडवेज को कमाई ना होने का मुख्य कारण उत्तर प्रदेश परिवहन निगम भी है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिन मार्गों पर हमारे यहां की रोडवेज बसें नहीं जा रहीं वहां के यात्रियों को उत्तर प्रदेश रोडवेज अपनी बसों में यात्रा करा रहा है।
गौरतलब है कि रोडवेज को हुए नुकसान में बड़ी भागीदारी कोरोना की भी है। मगर ऐसा नहीं है कि रोडवेज विभाग ने अपनी ओर से सब ठीक किया है। स्थानीय स्तर पर संचालन शुरू करने के लिए कर्मचारी संगठन कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन रोडवेज अधिकारियों के कानों पर अबतक जूं नहीं रेंगी। यही वजह है कि प्रयागराज, आगरा व बुलंदशहर जैसे रूटों पर उत्तराखंड की बसें ना चलने से या चलने वाली बसों की संख्या कम होने से, सारा माल पड़ोसी राज्य को जा रहा है।
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इन समीकरणों पर नज़र डालिए :-
1. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के लिए हल्द्वानी से कोई बस नहीं जाती मगर यूपी की तीन बसें रोज हल्द्वानी आकर इस रूट की सवारियों को ले जाती हैं।
2. आगरा के लिए पूरे कुमाऊं से सिर्फ चार बसें चलती हैं। जबकि यूपी की छह बस हल्द्वानी से इसी रूट की सवारियां लेकर निकलती है।
3. बुलंदशहर जाने के लिए भी यूपी रोडवेज की दो बसों का सहारा है।
इसके अलावा एक दिक्कत यह भी है कि दिल्ली रूट पर यूपी की जनरथ का किराया उत्तराखंड की बसों के मुकाबले कम है। जिसकी वजह से यहां के यात्री बाहरी बसों में सफर करना ज़्यादा पसंद करते हैं। अब अफसरों ने इन समीकरणों को लेकर अलग ही बहाने रट रखे हैं। उनका कहना है कि दोनों राज्यों के बीच हुए बांड के हिसाब से ही गाडिय़ां चलाई जाती है। कर्मचारी कहते हैं कि प्रदेश के अधिकारी अपनी बात नहीं रख पाते।
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