देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पद संभालने के बाद से कई सख्त फैसले लिए हैं। उन्होंने कई भ्रष्टाचार के मामलों में जांच के आदेश व अधिकारियों को निलंबित करने का फैसला भी लिया है। इसके बाद जनता को उम्मीद है कि अब राज्य में कुछ बदलाव देखने को मिलेगा। ऐसे में सीएम तीरथ सिंह रावत को न्यूजीलैंड से उत्तराखंड निवासी ने पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षण पदों पर होने वाली नियुक्ति प्रक्रिया में सवाल उठाए हैं। देहरादून नवादा निवासी मुकेश देवराड़ी ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को मेल और सीएम एप के जरिए पत्र लिखा है।वह दून विवि में संविदा पर असिस्टेंट प्रोफेसर रहे हैं। इसके बाद वह हायर स्टडी के लिए न्यूजीलैंड चले गए। इसके अलावा मुकेश देवराड़ी पत्रकार के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
मुकेश देवराड़ी द्वारा लिखे गए पत्र का अंश
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के माध्यम से पिछले दो वर्षों में विभिन्न डिग्री कॉलेजों में 700 से अधिक सहायक प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए मैं आपको बधाई देना चाहता हूं। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है क्योंकि पूर्व में राज्य के विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान व्यापक भ्रष्टाचार, रिश्वत और भाई-भतीजावाद के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन इस बार नियुक्ति प्रक्रिया में अब तक किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोप तक नहीं लगे हैं।
उत्तराखंड में सहायक प्रोफेसर के पदों के तमाम उम्मीदवार राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में होने वाली नियुक्ति प्रक्रिया में भी इसी तरह की पारदर्शिता और ईमानदारी की उम्मीद करते हैं। लेकिन राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षण पदों पर चलने वाली नियुक्ति प्रक्रिया में अभ्यार्थियों को बिलकुल भरोसा नहीं है, क्योंकि वाइस चांसलर और रजिस्ट्रार नियुक्ति प्रक्रिया में हेराफेरी करते हैं, दून विश्वविद्यालय में हुए भर्ती घोटाले और शिक्षकों पर चल रहे तमाम मुकदमें इसकी गवाही देते हैं।
आवेदनों की जांच के लिए स्क्रीनिंग समितियों के गठन के चरण से ही भ्रष्टाचार शुरू हो जाता है। वाइस चांसलर और रिजस्ट्रार स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी कराने के बाद अपनी पसंद के शिक्षकों का इंटरव्यू पैनल तैयार करवाते हैं। यहां तक कि इंटरव्यू पैनल में माननीय राज्यपाल द्वारा नामित सदस्य का चयन भी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा दी गई विषय विशेषज्ञों की सूची से ही किया जाता है।
उत्तराखंड में सरकारी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की चयन प्रक्रिया भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा बन गई है। नियुक्ति प्रक्रिया में रिश्वत, भाई-भतीजावाद, सत्ता के दुरुपयोग और व्यापक भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सरकारी विश्वविद्यालयों में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के जरिए ही शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। इसके लिए सरकार को मौजूदा कानूनों में संशोधन करना चाहिए। आपसे विनम्र निवेदन है कि कानूनों में आवश्यक बदलाव लाकर राज्य के स्वामित्व वाले विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के जरिए ही की जाए।