देहरादून: राज्य में कोरोना वायरस के मामले 23 हजार से ऊपर पहुंच गए हैं। रोजाना कोरोना वायरस के रिकॉर्ड मामले सामने आ रहे हैं जो सभी को डरा रहे हैं। कोरोना वायरस की जांच को बढ़ाने से कोरोना वायरस को कंट्रोल करने की कोशिश थी लेकिन यह बढ़ते मामले लोगों को परेशान कर रहे हैं। आलम ये हैं कि बुखार होने के बाद भी लोग हॉस्पिटल जाने से बच रहे हैं। लॉकडाउन तक उत्तराखंड में कोरोना का प्रकोप इतना नहीं था क्योंकि राज्य में बाहर के लोगों की एंट्री नहीं थी। अनलॉक के लागू होने के बाद तमाम पाबंदियां खत्म की गई हैं, उससे स्थिति और खराब हो गई है। आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले एक माह में प्रदेश में कोरोना के सक्रिय मरीजों (एक्टिव केस) की संख्या दोगुनी हो गई है। बीती दो अगस्त को राज्य में जहां कोरोना के एक्टिव केस की संख्या 3032 थी, वह अब बढ़कर 7187 हो चुकी है।
पिछले छह माह से कोरोना संक्रमण के मामलों का विश्लेषण कर रही संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के संस्थापक और स्वास्थ्य मामलों के जानकार अनूप नौटियाल की मानें तो यह आंकड़े सुखद नहीं हैं। एक्टिव केस में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। सभी अस्पतालों में बेड फुल हो चुके हैैं। डॉक्टर और नर्सें भी आंदोलन की राह पर खड़े हैैं। आर्थिक हालात भी ठीक नहीं हैैं। ऐसे में नए और आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है।
कोरोना वायरस के मामलों के बढ़ने के साथ संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर भी बढ़ी है। यह आंकड़ा तीन सौ के पार हो चुका है। औसतन 10 मरीजों की मौत हो रही है। वहीं हालात के खराब होने के बाद भी लोग बाजारों में नियमों को तोड़ते नजर आ रहे हैं। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन ने भी ऐसी ही संभावना जताई है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो उत्तराखंड में कोरोना वायरस के कुल मामले महीने के अंत में 40 हजार के आंकड़ों को पार कर सकते हैं।