उत्तराखण्ड से दिल्ली जानें वाले यात्रियों को झटका लगा है। दिल्ली में उत्तराखण्ड की बसें बैन होने की खबर ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। दिल्ली सरकार इस मासले में विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो उत्तराखंड और दिल्ली आने जाने वाली करीब 450 बसों के 30 हजार से ज्यादा यात्रियों के लिए परेशानी हो सकती है। इसके अलावा रोडवेज़ के राजस्व को भी बड़ा घटा उठाना पड़ सकता है। खबर की मानें तो उत्तराखंड रोडवेज का उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश पंजाब और चंडीगढ़ से परिवहन का करार हो चुका है, लेकिन अब तक दिल्ली और हरियाणा से करार नहीं हो पाया है। इस कारण से दिल्ली परिवहन विभाग ने पहले चरण में रोडवेज बसों को और दूसरे चरण में ट्रकों पर भी प्रतिबंध की चेतावनी दी है। इस मामले को लेकर अब उत्तराखंड रोडवेज के अधिकारी, सरकार से बातचीत की कोशिश कर रहे हैं।
दिल्ली परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने इस मामले में जानकारी दी कि कानून के अनुसार, अंतरराज्यीय बसों के सेवा जारी रखने के लिए एमओयू का साइन होना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली सरकार सिर्फ नियम का पालन कर रही है। हमारी ओर से उन पड़ोसी राज्यों को पत्र जारी कर दिए हैं जो बिना एमओयू के बसें चला रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि यात्रियों की सुरक्षा और बेहतर सुविधाओं के लिए भी एमओयू का होना बेहद जरूरी है। उन्होंने साफ किया कि अगर एमओयू साइन नहीं होता है तो दिल्ली के आनंद बिहार व अन्य टर्मिनल्स पर उत्तराखण्ड की बसों को रोक दिया जाएगा। दिल्ली सरकार अगर ये राज्य की बसों को बैन करने का फैसला करती है तो हजारों यात्रियों और रोडवेज कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। उत्तरांचल रोडवेज वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष अशोक चौधरी का कहना है कि इस फैसले से न सिर्फ यात्रियों की परेशानी बढ़ेगी बल्कि हमारे बिजनस को भी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को इसे टालने के लिए एमओयू साइन कर देने चाहिए।’ आपको जानदारी दे दे कि रोज करीब 25-30 हजार लोग उत्तराखंड की रोडवेज बसों से दिल्ली आते-जाते हैं। अनुमान के अनुसार, करीब 450 बसें रोज दिल्ली से उत्तराखंड आती-जाती हैं। 50 बसें ऐसी हैं, जो दिल्ली से होकर गुजरती हैं। गढ़वाल मंडल की 250 और कुमाऊं मंडल की 150 बसें दिल्ली आती-जाती हैं। हालांकि उत्तराखंड रोडवेज के अधिकरी की तरफ से चेतावनी पत्र प्राप्त नहीं होने की बात कही जा रही है। लेकिन उन्हें ऐसी सूचना मिली है। उत्तराखंड परिवहन विभाग की मानें तो विगत वर्ष उन्होंने एमओयू प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखाई। उत्तराखंड परिवहन निगम के जनरल मैनेजर दीपक जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से हमें कोई सूचना नहीं मिली है, लेकिन हम यह भी मानते हैं कि अंतरराज्यीय बस सेवाओं के लिए एक एमओयू आवश्यक है। हम उनसे औपचारिक संदेश प्राप्त करने के बाद फिर से प्रक्रिया शुरू करेंगे।’