हल्द्वानी: उत्तराखण्ड में सीजन की पहली बर्फबारी हो गई है। राज्य के पहाड़ी इलाके बर्फ की चादर से ढक चुके हैं। पर्यटक बर्फ का आनन्द लेने के लिए हिल स्टेशन पहुंचने लगे हैं। इस बार बर्फबारी वक्त से पहले हुई है और इससे व्यापारी भी उत्साहित हो गए हैं। एक बर्फ लोग बर्फबारी से खुश हैं लेकिन वैज्ञानिक इसे मौसम पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव मान रहे हैं, उनका कहना है कि इसलिए ही 15 दिसंबर से पहले इतनी भारी बर्फबारी हुई है। करीब 34 साल बाद ऐसा मौका आया है कि पौष माह आने से पहले ही मार्गशीष में इतनी भारी बर्फबारी हुई है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. अनिल चंद्रा का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में ऐसा बदलाव आया है। इस बार बरसात देर तक रही, जिससे तापमान कम रहा। उसके बाद अक्तूबर और नवंबर माह में दो बार बारिश के कारण भूमि में काफी नमी थी, जिससे तापमान लगातार कम होने से दिसंबर के पहले ही पखवाड़े में काफी बर्फबारी हुई है।
बमोटिया गांव के लोगों का कहना है कि 1985-86 में मार्गशीष में इतनी भारी बर्फबारी हुई थी। पहली बार 15 दिसंबर से पहले बर्फबारी से सभी सकते में हैं। आमतौर देखा जाता है कि तीन हजार मीटर से कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दिसंबर माह के अंत से फरवरी तक ही बर्फबारी होती थी।