हल्द्वानी: उत्तराखण्ड अपनी वादियों के अलावा राज्य में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए भी विख्यात है। इस लिस्ट में अब एक अन्य पक्षी नाम भी जुड़ गया है। राज्य में पहली बार रूफोस बैक्ड रेडस्टार्ट बर्ड नजर आई है। यह कहना है उत्तराखंड में पक्षियों पर अध्ययन करने वाले दल का, जिनके अनुसार पिछले 132 वर्षों में इस पक्षी के राज्य के जंगलों में होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। उत्तराखंड के पारिस्थितिकी विज्ञान शास्त्री के रामनारायण ने जानकारी दी कि 17 फरवरी को सीईडीएआर एवं टिटली ट्रस्ट के नेचर गाइड ट्रेनिंग के दौरान मुक्तेश्वर के जंगल में बर्ड वॉचर दल को कुछ दुर्लभ पक्षी नजर आए।
दुर्लभ प्रजाति की यह चिड़िया पिछले 132 सालों में उत्तराखंड में कभी नहीं देखी गई। उन्होंने बताया कि इस चिड़िया को दुनिया भर में 536 बार देखा गया था। भारत में केवल लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में ही 22 बार यह पक्षी देखा गया है। यह पहला मौका है जब उत्तराखंड में यह पक्षी दिखा है। इसकी पहचान है कि इसके पीठ और पंखों पर व्यापक सफेद रेखा, सिर पर चांदी या चमकीला स्लेटी टोपी जैसा नजर आता है। यह पक्षी पेड़ से जमीन की तरफ तेजी से उड़ान भरता है और फिर उसी स्थान पर वापस आ जाता है।
इसके साथ रूफोस बैक्ड रेडस्टार्ट नजर आया। इसके अलावा एक मादा ब्लू फ्रंटेड रेडस्टार्ट भी देखी गई। पहली बार इस नर पक्षी को देखा तो इसका व्यवहार रेडस्टार्ट के विपरीत लग रहा था। गहनता से उसका अध्ययन किया तो इस पक्षी के रूफोस बैक्ड रेडस्टार्ट होने का पुख्ता प्रमाण मिले हैं। ट्रैकिंग टीम में जगदीश नेगी, बची डंगवाल, विजय दीक्षित रेड्डी, बबीता गलिया, जेनीफर, गोपाल नायल, हरीश गौड़, कमल बिष्ट भी शामिल थे।