हल्द्वानी: सेना में शामिल कोई केवल वेतन के लिए नहीं होता है। वहां पहुंने के लिए एक सपना होता है जो गुजरते दिन के साथ पागलपन का रूप लेने लगता है। ये पगलपन होता है अपने देश की सेवा करने का। उत्तराखण्ड राज्य को फौज के लिहाज से काफी अहम माना जाता है। पहाड़ के हर घर से कोई ना कोई फौज में जरूर होता है। तभी तो हम उत्तराखण्ड और फौज से जुड़ी कई कहानियां सुनते रहते हैं। पहले तक राज्य के लड़के फौज में शामिल होते थे लेकिन अब बेटियां भी देश की सेवा करने के लिए तैयार हैं। एक ऐसी ही बेटी की कहानी आज हम आपको बताएंगे जिसने सेना में शामिल होने के लिए लाखों की नौकरी छोड़ दी।
बागेश्वर जिले के असोन मल्लकोट की सोनाली मनकोटी भारतीय तटरक्षक सेवा में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट शामिल हुईं हैं। वह कुमाऊं में यह कामयाबी हासिल करने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। सोनाली के पिता, दादा और चाचा भी भारतीय सेना का हिस्सा रहे चुके हैं। अपने घर से ही उन्होंने सेना में दाखिल होने की प्ररेणा ली। पहले सोनाली गुड़गांव में टाटा कंसल्टेंसी सर्विस में बतौर सॉफ्टवेयर डेवलपर जॉब कर रही थीं। लाखों का वेतन मिलता था लेकिन देश सेवा का प्यार उन्हें सेना में शामिल होने की तरफ ले गया।
सोनाली के चाचा नेवी में हैं और उन्हें देखकर वह भी नेवी में जाने का सपना देखती थी। सफेद ड्रेस केवल अच्छा लगता था लेकिन किसे पता था कि ये सफेद रंग की जर्सी सोनाली की जिंदगी बन जाएगी। सोनाली की पारिवारिक पृष्ठभूमि सेना की रही है। सोनाली के दादा सूबेदार मेजर (रि.) प्रताप सिंह मनकोटी और पिता सूबेदार मेजर (रि.) कुंदन सिंह मनकोटी भारतीय सेना में रहे हैं। नौकरी छोड़कर सोनाली ने आईएनए का हिस्सा बनने के लिए तैयारी करने लगीं।
आईएनए में प्रशिक्षण के दौरान कई चुनौतियां आईं, जिन्हें उन्होंने अपनी हिम्मत और लगन से पार भी किया। कई कैंपों में हिस्सा लिया और ड्रिल प्रतियोगिताएं भी जीतीं। सोनाली की बड़ी बहन शालिनी मलयेशिया में हैं, जबकि छोटा भाई क्षितिज मनकोटी इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में हैं। बेटी की कामयाबी पर मां दीपा मनकोटी ने बताया कि कोस्ट गार्ड में अधिकारी बनने के बाद सोनाली फिलहाल एक माह की छुट्टी पर अपने घर आएंगी। इसके बाद उनकी आगे की ट्रेनिंग जामनगर में आईएनएस वलसुरा पर होगी।