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उत्तराखण्ड में अच्छी खबर: बस के पैनिक बटन ने दूर किया यातायात के दौरान सुरक्षा का पैनिक


देहरादून: राज्य में प्रदूषण को रोकने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इलैक्ट्रिक वाहनों को चलाने की मुहिम शुरू हुई है। राज्य के कुछ स्थानों में इलैक्ट्रिक बसे चलाई जा रही है। इन बसों को सुरक्षा के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है।  महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस बस में हर सीट पर पैनिक बटन लगा है। सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस भी इस बस में लगा हुआ है। इसी क्रम में नौ अक्तूबर से नौ नवंबर तक बस को मसूरी रोड पर चलाया गया ट्रायल सफल रहा है।

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पिछले महीने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक करोड़ रुपये की इलेक्ट्रिक बस को हरी झंडी दिखाकर ट्रायल का शुभारंभ किया था। करीब एक महीने तक बस को देहरादून से मसूरी चलाया गया। साधारण बस में 18 रुपये प्रति किलोमीटर खर्च आता है। जबकि, इस इलेक्ट्रिक बस में महज छह रुपये प्रति किलोमीटर बिजली खर्च हो रही है। इस बस में आटोमेटिक ट्रांसमिशन के चलते ऑटो गियर की सुविधा है। जिसकी वजह से चालक को बार-बार गियर बदलने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

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इस बस में आटोमेटिक स्लाइडिंग डोर सिस्टम है। इसका कंट्रोल चालक के पास रहता है। लो फ्लोर के चलते बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को चढ़ने-उतरने में बेहद आसानी रहती है। इसके अलावा इसमें इलेक्ट्रिक डिस्प्ले है, जो यात्रियों को रूट की पूरी जानकारी देगा।  दोनों बसों की मरम्मत की बात करें तो डीजल से चलने वाली बसों में हर चार माह में क्लच, गियर बॉक्स आदि को बदलना पड़ता है, जबकि इलेक्ट्रिक बस में इसकी जरूरत ही नहीं पड़ती। इस बस की बैटरी एक बार चार्ज होने पर 200 से 250 किलोमीटर का सफर तय कर सकती है।

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उत्तराखंड परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने बताया कि दून से मसूरी रोड पर चलाई गई इलेक्ट्रिक बस का ट्रॉयल सफल रहा। इसके बाद शुरुआत चरण में 50 ई-बसें खरीदने की तैयारी शुरू कर दी है। जल्द यह बसें दून से मसूरी और हल्द्वानी से नैनीताल चलती दिखाई देगी।

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