हल्द्वानी: 26 जुलाई वो दिन है जिसने यंग इंडिया का परिचय दुनिया को दिया। भारतीय जवानों ने बताया कि अब हम चुप नहीं रहेंगे, हमारी धरती पर बुरी नजर रखने वालों का वो हाल किया जाएगा, जो शायद ही कोई सोच सकता है। 1999 में भारतीय जवानों ने कारगिल युद्ध जीता… पाकिस्तान पर विजय की कहानी की जब भी बात होती है तो उत्तराखंड के वीरों का नाम लिया जाता है। कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 शहीद हुए और 37 जवानों को उनकी बहादुरी के लिए पुरस्कार भी मिला। उत्तराखंड के लिए एक कहावत बेहद विख्यात है… पहाड़ के हर एक घर से एक व्यक्ति भारतीय सेना का हिस्सा होता है। उत्तराखंड के कई ऐसे परिवार हैं जिनकी पीढ़ियां भारतीय सेना को अपने साहस से सिंच रही है ताकि इस वर्दी की धाक पूरी दुनिया में जम पाए।
भारतीय इतिहास में हुए सभी युद्धों में उत्तराखंड के वीर जवान देश की रक्षा के लिए आगे रहे हैं। उन्होंने हर मौर्चों पर अपने कौशल का परिचय दिया है। आजादी के बाद से अब तक डेढ़ हजार से अधिक सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी है। उत्तराखंड के वीर केवल युद्ध के मैदान पर दुश्मन को हराना नहीं जानते हैं वह सुरक्षा घेरा बनाने की रणनीति बनाने में भी माहिर हैं। उनका लोहा हर कोई मानता है। हम उन मां, बहनों और वीरंगनाओं को नमन करते हैं जो युद्ध में अपनों को खोने के बाद भी नई पीढ़ी को भारतीय सेना का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करती हैं।
महावीरचक्र विजेता – मेजर विवेक गुप्ता, मेजर राजेश अधिकारी।
वीरचक्र विजेता- कश्मीर सिंह, बृजमोहन सिंह, अनुसूया प्रसाद, कुलदीप सिंह, एके सिन्हा, खुशीमन गुरुंग, शशि भूषण घिल्डियाल, रुपेश प्रधान व राजेश शाह।
सेना मेडल विजेता- मोहन सिंह, टीबी क्षेत्री, हरि बहादुर, नरपाल सिंह, देवेंद्र प्रसाद, जगत सिंह, सुरमान सिंह, डबल सिंह, चंदन सिंह, मोहन सिंह, किशन सिंह, शिव सिंह, सुरेंद्र सिंह व संजय।
मेन्स इन डिस्पैच- राम सिंह, हरि सिंह थापा, देवेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, मान सिंह, मंगत सिंह, बलवंत सिंह, अमित डबराल, प्रवीण कश्यप, अर्जुन सेन, अनिल कुमार।
किस जनपद से कितने शहीद
जनपद,- शहीद जवान
देहरादून- 28
पौड़ी- 13
टिहरी- 08
नैनीताल- 05
चमोली- 05
अल्मोड- 04
पिथौरागढ़- 04
रुद्रप्रयाग- 03
बागेश्वर- 02
उधमसिंहनगर- 02
उत्तरकाशी- 01
