उत्तराखंड राज्य की स्थापना के इतने वर्षों बाद भी यहां के क्रिकेटरों को आगे बढ़ने के लिए दूसरे राज्यों का रूख करना पड़ता था।ऐसे में उत्तराखंड क्रिकेट को रणजी ट्रॉफी के लिए खेलने का मौका मिलना किसी सपने का सच होने जैसा ही था । जिसके बाद यहां के क्रिकेटरों को एक नयी उम्मीद मिली ।घरेलू क्रिकेट से आगे राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने के लिए यह एक जरूरी उपलब्धि थी।
परन्तु मुश्किलों से पटरी पर आये उत्तराखंड का क्रिकेट और यहां के क्रिकेटरों का भविष्य एक बार फिर अस्पष्ट मोड़ में आकर अटक गया है। पिछले वर्ष सीओए ने चारों एसोसिएशन को एक साल के भीतर मान्यता का मामला सुलझा लेने की बात कही थी। इस पर चारों एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने रजामंदी भी दे दी थी।पर फटकार के बावजूद चारों खेल संघ एक मंच पर आने को तैयार नहीं हैं। सीओए ने साफ कर दिया है कि उत्तराखंड क्रिकेट संचालन समिति (यूसीसीसी) को केवल एक साल के लिए मान्यता दी थी। ऐसे में अब प्रदेश में क्रिकेट का जिम्मा किसके पास रहेगा, इसको लेकर कुछ साफ नहीं है।
सीएयू ,उत्तरांचल-सीए , उत्तराखंड-सीए , यूनाइटेड-सीए ,प्रदेश के ये चारों क्रिकेट संघ पदाधिकारियों की मौजूदगी में सीओए ने 22 फरवरी को हुई बैठक में एकीकरण का प्रस्ताव दिया था। इसे न मानने पर सीओए ने एक फेडरेशन के गठन का सुझाव दिया जिसमें चारों खेल संघों के पदाधिकारी शामिल हों। लेकिन, इसको लेकर भी राज्य के खेल संघ पदाधिकारी एकमत नहीं है। सभी संघ फेडरेशन में अपना प्रभुत्व बनाए रखना चाहते हैं। ऐसे में राज्य में इस सत्र से क्रिकेट के संचालन को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। बीसीसीआई की आधिकारिक वेबसाइट में सीओए के हवाले से स्पष्ट किया गया है कि यूसीसीसी को केवल एक वर्ष के लिए राज्य में क्रिकेट संचालन की मान्यता दी गई थी।
खुद को क्रिकेट और क्रिकेटरों का सर्वेसर्वा मानने वाले खेल संघ अपनी मनमानी पर कायम हैं ।यहां के मेहनती क्रिकेटरों के भविष्य को लेकर संघ में गंभीरता शून्य मात्र है। बोर्ड ट्रॉफी से पहले सभी खेल संघों को ऑफ सीजन में घरेलू क्रिकेट आयोजित करनी होती है। इन प्रतियोगिताओं के प्रदर्शन के आधार पर टीम का चयन किया जाता है। उत्तराखंड में केवल औपचारिकता निभाने भर के लिए प्रतियोगिताएं की जा रही हैं। इसमें भी केवल कुछ खेल संघ ही दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
एक ओर संघों के बीच ऐसी तनातनी चल रही है तो दूसरी ओर उत्तराखंड के क्रिकेटर लगातार अपने उम्दा प्रर्दशन से नाम कमा रहा है।पिछले सीजन में पहली बार बीसीसीआई की प्रतियोगिताओं में खेलने उतरी उत्तराखंड की टीमों ने शानदार प्रदर्शन किया था। रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे, वीनू माकंड, कूच बिहार समेत अन्य प्रतियोगिताओं में भी टीम का प्रदर्शन अच्छा रहा। इसके अलावा प्रदेश के कई खिलाड़ियों ने भी अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा।
सीओए लगातार चारों खेल संघ पदाधिकारियों को एक होने को कह रही है।चारों क्रिकेट एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने अपना-अपना दावा पेश किया है।। सभी दावों पर गौर करने और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) के पक्ष में उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन और यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन के पक्ष में खड़ा होने पर सीओए प्रमुख विनोद राय ने उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन के चंद्रकांत आर्य भी एक साथ आने की बात उन्होंने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया।इस वर्ष राज्य में क्रिकेट गतिविधियों का संचालन कैसे होगा, इस पर सुप्रीम कोर्ट या सीओए को फैसला लेना है ।अगर ऐसे ही लापरवाही बर्ती गयी तो उत्तराखंड के लिए खेलने वाले बच्चों का भविष्य खतरे में आ सकता है।सबकी बेहतरी के रिए यह जरूरी है कि सोच समझकर फैसला लेकर उत्तराखंड क्रिकेट को मजबूत किया जाये।