देहरादून: इतिहास रच कर वतन लौटीं हॉकी की स्टार खिलाड़ी वंदना कटारिया जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंची तो आंखों में आंसु साफ नजर आए। एक तरफ शानदार खेल दिखाकर घर लौटने की खुशी तो दूसरी तरफ अपने पिता को याद करते हुए वंदना भावुक हो गईं।
टोक्यो ओलंपिक में वंदना कटारिया उस भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा थीं जो कि पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी। हालांकि भारतीय टीम कोई मेडल अपने नाम नहीं कर सकी लेकिन टीम ने हर देशवासी का दिल जरूर जीता।
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वंदना ने एक मुकाबले में हैट्रिक गोल कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा दिया। बहरहाल अभी कुछ देर पहली ही जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंची वंदना कटारिया ने सबसे पहले अपने पापा को याद किया। बता दें कि वंदना के पिता मई में हृदयगति रुकने के कारण उन्हें अलविदा कह गए थे।
इस मौके पर वंदना ने कहा कि वह अपने पिता को मिस कर रही हैं। वह जब भी घर वापस आती थी तो उनके मना करने के बावजूद भी उनके पिता एयरपोर्ट पर बाहर खड़े उन्हें मिलते थे। पर, वह अभी दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने कहा घर जाना और वहां पिता की मौजूदगी ना होना बहुत मुश्किल रहने वाला है।
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जिस वक्त वंदना के पिता की मृत्यु हुई, उस वक्त वंदना बैंगलुरू में टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी हुई थीं। पिता ने वंदना के सपनों को उड़ान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वंदना के पिता का सपना था कि बेटी एक दिन भारत के लिए ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते।
ऐसें घर से दूर तैयारी कर रही वंदना को पिता के निधन की खबर मिली। वंदना के सामने पिता के अंतिम दर्शन की इच्छा के साथ साथ पिता के सपने को साकार करने की अलख जल रही थी। इस मौके पर टूट चुकी वंदना को भाई पंकज और मां सोरण देवी ने संभाला।
मां सोरण देवी ने साफ कहा कि पहले सपने को पूरा करो। पिता का आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है। हालांकि, टोक्यो ओलिंपिक में वंदना पदक तो नहीं जीत सकीं लेकिन अपने खेल से सबका दिल जरूर जीत लिया। साथ ही हैट्रिक गोल लगाकर इतिहास रच वंदना ने अपने पिता को श्रद्धांजलि दी।
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