ओखलकांडा: अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, गौरवशाली परंपराओं और लोक कलाओं के चलते हमारे उत्तराखंड की न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में एक अलग पहचान है। यहां की लोक कलाएं, चित्र अद्वितीय और विविध हैं। ऐसी ही उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की ऐपण एक प्रमुख लोक कला है। ऐपण हमारे हर त्योहारों, शुभ अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों और नामकरण संस्कार, विवाह , जनेऊ आदि जैसे पवित्र समारोहों का एक अभिन्न अंग है। यहां सभी शुभ कार्यों की शुरुआत ऐपण से की जाती है। वहीं ओखलकांडा निवासी पूजा पडियार ऐपण कला के माध्यम से राज्य में ही नहीं बल्कि राज्य से बाहर भी अपनी पहचान बना चुकी है।
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हिंदू संस्कृति की पहचान ऐपण को संग्रहित करने और युवाओं को इसके प्रति जागरूक करने के लिए पूजा पडियार ने अपने प्रयासों के बलबूते कला को एक नई पहचान दी है। पूजा के ऐपण राज्य में ही नहीं बल्कि राज्य से बाहर भी इनकी मांग हो रही है। जिससे पूजा की काफी अच्छी आमदनी भी होने लगी है। जिसके लिए उनको सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सम्मानित किया है। पूजा पडियार का कहना है कि बचपन से ही कुमाऊंनी संस्कृति के प्रति उनका काफी रुझान रहा है। बीते दो सालों से हुए विलुप्त हो रही कुमाऊं की संस्कृति को बचाने के लिए ऐपण के जरिए एक छोटी सी कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके ऐपण की विभिन्न राज्यों के लोगों द्वारा मांग की जा रही है। तो उनको काफी अच्छा लगता है। कुमाऊंनी संस्कृति को कुमाऊं में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के लोगों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है।
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