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देहरादून: 14 फरवरी का दिन वैसे तो वैलेंटाउन डे के नाम से विश्व भर में अधिक प्रसिद्ध है। मगर यह दिन भारतीयों के लिए आज भी काला दिन ही माना जाता है। आज ही के दिन साल 2019 में हुए पुलवामा अटैक में देश ने अपने 44 जवानों को खो दिया था। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा हुए आतंकी हमले ने भारत को वो जख्म दिए थे, जो आज भी कभी कभी ताज़ा प्रतीत होते हैं।
शहीदों की सूची में एक जवान उत्तरकाशी जबकि दूसरा उधमसिंह नगर जिले के खटीमा का रहने वाला था। उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड के बनकोट के निवासी मोहन लाल रतूड़ी साल 1988 में सीआरपीएफ में भर्ती होने के बाद श्रीनगर, छत्तीसगढ़, पंजाब, जालंधर , जम्मू-कश्मीर जैसे आतंकी और नक्सल क्षेत्र में ड्यूटी कर चुके थे।
वहीं, ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा के मोहम्मदपुर भुढ़िया गांव के रहने वाले जवान वीरेंद्र सिंह भी इस आतंकी हमले में शहीद हुए थे। शहीद वीरेंद्र सिंह के दो बड़े भाई ( जय राम सिंह व राजेश राणा) में से जयराम सिंह खुद बीएसएफ के रिटायर्ड सूबेदार हैं। वह अपने पीछे दो बच्चे (एक बेटा और बेटी) छोड़ गए हैं। वीरेंद्र दो दिन पहले ही 20 दिन की छुट्टी बिताने के बाद जम्मू के लिए रवाना हुए थे।
इस हमले के बाद चले एनकाउंटर में भी उत्तराखंड ने अपने दो बेटों को खोया था। मेजर विभूति ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए थे। पुलवामा में आतंकी हमले के बाद चले सर्च ऑपरेशन में 18 फरवरी को देहरादून के मेजर विभूति ढौंडियाल भी शहीद हुए थे। वो अपनी शादी की पहली सालगिरह पर घर आने वाले थे। इससे पहले 16 फरवरी को मेजर चित्रेश शहीद हुए थे, जिनकी शादी सात मार्च 2019 को होनी थी और इसके लिए शादी के कार्ड भी बंट चुके थे।
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