पिथौरागढ़: एक बार फिर एक नेक दिल इंसान के कारण देवभूमि का नाम रौशन हुआ है। टाना गांव के अजय ओली को बच्चों के लिए जीवन समर्पित करने का फल मिला है। उन्हें देश के केवल ऐसे सात लोगों में चुना गया है जिन्हें राष्ट्रीय युवा पुरस्कार दिया जाएगा। उत्तराखंड से तो अजय एकलौते ही हैं।
28 वर्षीय अजय ओली पिथौरागढ़ के टाना गांव के रहने वाले हैं। अजय ने ह्यूमन रिसोर्स, होटल मैनेजमेंट व टूरिज्म में मास्टर की पढ़ाई की है। हालांकि उन्होंने अच्छे खासे सरकारी नौकरी व लाखों के कारोबार के मौके इसलिए छोड़ दिए क्योंकि उन्हें बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए अपना जीवन समर्पित करना था।
अजय ने पिछले पांच सालों से बालश्रम व भिक्षावृत्ति को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चला रहे हैं। उन्होंने लखनऊ से नंगे पांव यात्रा कर शुरू किए इस अभियान के जरिए अब तक भारत के 110 से अधिक शहर, आठ राज्य, 1300 से अधिक संस्थान और तीन लाख से अधिक लोगों को अपने साथ जोड़ा है।
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अजय ओली बताते हैं कि सफर आसान नहीं रहा। लेकिन बच्चों की मुस्कान ने हमेशा ही हौसला व सुकून देने का काम किया। एक लाख से अधिक किमी की नंगे पांव जागरूकता यात्रा कर चुके अजय फिलहाल बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने में जुटे हैं। वे अबतक 17 हजार से अधिक बच्चों को शिक्षा के माध्यम से मुख्य धारा से जोड़ चुके हैं।
इस रिकॉर्ड से पहले घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष अजय की उत्कृष्ट समाज सेवा को लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड ने भी दर्ज किया है। यह उनका पहला उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं है। लिहाजा जिले को इससे पहले दो राष्ट्रीय युवा पुरस्कार मिल चुके हैं। वर्ष 1998-99 में जगदीश भट्ट और वर्ष 2010-11 में प्रदीप माहरा जिले का नाम रोशन कर चुके हैं।
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