नई दिल्ली: चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक वायुसेना के कई ठिकानों का दौरा कर सुरक्षा तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि जवानों का बुलंद हौसला देखकर यकीन होता है कि भारतीय सेना से मुकाबला करने वाले टूटकर बर्बाद हो जाएंगे। पूर्वी लद्दाख में पिछले आठ महीनों से चीन के साथ जारी सीमा विवाद के कारण भारतीय सेनाएं सीमाओं पर काफी चौकसी बरत रही हैं। सूत्रों ने कहा कि जनरल रावत ने अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी और लोहित सेक्टर समेत विभिन्न अड्डों पर तैनात सेना, आईटीबीपी और विशेष सीमांत बल (एसएफएफ) के सैनिकों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष ने प्रभावी निगरानी बनाए रखने और अभियानगत तैयारियां बढ़ाने के वास्ते अभिनव कदम उठाने के लिए सैनिकों की सराहना की।
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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सूत्रों के अनुसार, जनरल रावत ने कहा कि ऐसी ‘चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों’ में केवल भारतीय सैनिक ही सतर्क रह सकते हैं और सीमाओं की सुरक्षा के लिये हमेशा अपने कर्तव्यों से आगे बढ़कर काम करने के लिए तत्पर रहे हैं. सूत्रों ने सीडीएस के हवाले से कहा, ‘भारतीय सशस्त्र बलों को उनके कर्तव्यों को लेकर दृढ़ संकल्प रहने से कोई चीज नहीं रोक सकती। जनरल रावत ने कुछ इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने उन्हें क्षेत्र के सुरक्षा हालात के अहम पहलुओं की जानकारी दी।
सीडीएस ने अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी और लोहित सेक्टर में अग्रिम चौकियों पर तैनात स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) और सेना के जवानों के साथ मुलाकात कर उनका हौसला भी बढ़ाया। उन्होंने जवानों को क्षेत्र में उनकी युद्ध तैयारी और सतत निगरानी के लिए बधाई भी दी। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल तान केफेई तान ने बीते गुरुवार को एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच आठवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता के बाद से ही दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों की वापसी पर चर्चा जारी रखी है। मई में शुरू हुए गतिरोध के समाधान के लिए भारत और चीन कई दौर की सैन्य तथा कूटनीतिक स्तर की वार्ता कर चुके हैं।
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