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मुश्किल है इस आपदा का आंकलन, चंपावत के दो गांवों में तबाह हो गया जनजीवन

चंपावत: बीते दिनों आई आपदा ने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में नुकसान पहुंचाया है। पहाड़ी इलाकों में नुकसान का आंकलन करना भी मुश्किल हो रहा है। कई नदियां उफान पर आ गई थी। जिस वजह से कई गांवों से संपर्क भी कट गया। गौरतलब है कि कुमाऊं क्षेत्र में जान माल का सर्वाधिक नुकसान देखने को मिला है।

इसी कड़ी में विकासखंड चंपावत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत पिनाना व तलाड़ी तोक में तबाही ही तबाही फैली है। दो दिनों की बारी बारिश के बाद गांवों की हालात बद से बदतर हो गई है। इसी विषय में ग्राम प्रधान रोहित भट्ट ने चंपावत के जिलाधिकारी और आपदा कंट्रोल को पत्र लिखा है। जिसमें पुलों, चकडैम के निर्माण व पेयजल लाइन आपूर्ति हेतु सहायता मांगी गई है।

ग्राम प्रधान रोहित भट्ट ने पत्र के हवाले से बताया कि बीती 18 व 19 अक्टूबर को विकासखंड चंपावत ग्राम पंचायत पिनाना व तलाड़ी तोक में भारी नुकसान हुआ है। 19 अक्टूबर को बादल फटने के कारण भारी तबाही मच गई है। जिसका आंकलन करना भी मुश्किल हो रहा है। ग्राम प्रधान ने बताया कि इस घटना की वजह से नदी से सटे खेत बर्बाद हो गए हैं। खेतों को काटकर नदी ने रास्ता बना लिया है।

आगे रोहित भट्ट लिखते हैं कि कई सारी जगहों पर भूस्खलन हो गया है। जिसकी वजह से करीब 30-40 मकान खतरे की जद में आ गए हैं। ग्राम निवासी जगदीश चंद्र अपने पोते के साथ नदी में कुछ दूर तक बह गई थी। जिन्हें उनकी बहु द्वारा समझदारी दिखाकर बचाया गया। खतरे को देखते हुए मकान मालिक घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं।

इसके अलावा आपको बता दें कि कई पुल बह जाने के कारण लोगों तक दैनिक सामग्री नहीं पहुंच रही हैं। वहीं बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। ऐसे में उन्होंने जिलाधिकारी चंपावत से पत्र लिखकर अपील की है कि मार्ग को दुरस्त कराने के लिए कदम उठाए जाएं। वगरना आने वाले दिनों में ग्राम के रहवासियों को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने यह भी बताय़ा कि पेयजल की सभी लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं।

साथ ही ग्राम प्रधान रोहित भट्ट ने आपदा कंट्रोल को लिखकर बताया कि 1992 के बाद से बने चकडैम के कारण काफी जमीन और कई घरों का बचाव हुआ। मगर अब ग्राम में 60 से 70 और चकडैमों की आवश्यकता है। इस संबंध में उचित निर्णय लिया जाए। गौरतलब है कि लोगों का जनजीवन आपदा ने अस्त व्यस्त कर दिया है। आपदा ग्रसित क्षेत्रों के लोग लगातार सहायता की मांग कर रहे हैं।

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