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चंपावत जिले का स्कूल, संसाधनों की कमी के वजह से प्रिंसिपल को बजानी पड़ती है छुट्टी की घंटी

देहरादून: राज्य के पर्वतीय जिलो में अच्छी शिक्षा पहुंचाना सबसे बड़ा चैलेंज है। शिक्षा प्राप्त करने हेतु जरूरी संसाधनों की कमी होने के वजह से ही उत्तराखंड में पलायन हो रहा है। कई स्कूलों में बच्चों की कमी के चलते उसे बंद कर दिया गया है। एक तस्वीर पाटी विकासखंड के श्री सिद्ध राजकीय इंटर कॉलेज रिठाखाल से सामने आई है। स्कूल में ना तो पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक हैं और ना ही कर्मचारी हैं जो स्कूल चलाने में सहयोग करें। इन भी की कमियों को प्रधानाचार्य पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें इंटरवल और छुट्टी की घंटी बजानी पड़ रही है।

स्कूल में 447 छात्र हैं तो वही 236 छात्राएं भी अध्यनरत हैं। इतने विद्यार्थी होने के बाद भी स्कूल में कई महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं हैं। पढ़ाई प्रभावित हो रही हैं लेकिन उच्च पदों पर बैठे अधिकारी कोई समाधान खोजने में नाकाम रहे हैं। प्रधानाचार्य संसाधनों की लगातार मांग कर रहे हैं तो वही अभिभावक विरोध कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक पूरे क्षेत्र में 30 हजार से अधिक आबादी है और एकमात्र इंटर कॉलेज है जिस वजह से दर्जनों दूरस्थ गांव से छात्र-छात्राएं यहां पढ़ने आते हैं। शिक्षकों की कमी के चलते उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

स्कूल में स्थाई शिक्षक के नाम पर विद्यालय में केवल अंग्रेजी के प्रवक्ता हैं और वही प्रभारी प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। इतिहास, अर्थशास्त्र विषय में भी केवल दो ही गेस्ट शिक्षक हैं। इंटर कक्षाओं में संस्कृत विषय के 118 छात्र हैं मगर संस्कृत विषय के शिक्षक नहीं हैं। यह पद खाली पड़ा हुआ है। हाई स्कूल में विज्ञान और अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के पद भी नही भरे गए हैं। विद्यालय में फर्नीचर तो है लेकिन छात्र-छात्राओं को फर्श पर बैठना पड़ रहा है।

प्रभारी प्रधानाचार्य प्रदीप बिष्ट का कहना है कि कक्षा ग्यारहवीं के कक्षा कक्ष में 79 छात्र हैं। उनको एक जगह बिठाना मुश्किल हो रहा है। कक्षा 12वीं में 82 छात्र एवं छात्राएं हैं एक कक्षा में 50 बच्चे ही बैठाए जा सकते हैं। विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी और सफाई कर्मी का पदों को भरा जाना है। कर्मचारियों के नहीं होने से प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों को ही सुबह की प्रार्थना से लेकर शाम को छुट्टी की घंटी बजानी पड़ रही है। कॉलेज में कक्षाओं के उचित प्रबंधन के लिए कम से कम 9 शिक्षकों की आवश्यकता है। संसाधनों की कमी के वजह से स्कूल में ढंग से साफ-सफाई भी नहीं होती है। इसके शिक्षकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की तैनाती के साथ ही कक्षा के कमरों को बढ़ाए जाने के संबंध में मांग लगातार की जा रही है लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक फैसला नहीं लिया गया है।

वहीं प्रमुख शिक्षा अधिकारी अरविंद गौड़ का कहना है कि कई स्कूलों में शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं और रिक्त पदों पर तैनाती के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है और जल्द ही एक रिमाइंडर पत्र भी भेजा जाएगा और इस पर कार्यवाही की जाएगी।।

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