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बिना टिकट मशीन के चल रही हैं उत्तराखंड रोडवेज की बसें , परिचालक और यात्रियों को हो रही है परेशानी

उत्तराखंड रोडवेज कंडक्टरों के आएंगे अच्छे दिन, नए साल से पहले मिलेंगी 1000 नई टिकट मशीनें

देहरादून : कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद बहुत मुश्किल से बसों का सामान्य संचालन हो पाया है । मगर रोडवेज परिचालकों को अब नई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है़ । दरअसल टिकट मशीनों की खराबी होने के कारण रोडवेज परिचालक मार्ग में जाने से कतरा रहे हैं । मौजूदा समय में करीब 70 फी़सदी बसें ऐसी है जो की टिकट मशीन के बिना मार्ग -पत्र देकर भेजी जा रहीें है ।

परिचालकों की परेशानी यह भी है कि बिना टिकट मशीन के यात्री टिकट लेने में आनाकानी करते हैं । रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने इस मामले में प्रबंधन से तत्काल मशीनों की खरीद प्रक्रिया को पूरी करने की मांग की है । कुछ दिन पहले आइएसबीटी पर उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की दून मंडल में बैठक हुई। जहां पर दो बड़े मुद्दो पर वार्तालाप की गई जिसमें पहला सबसे बड़ा मुद्दा मशीनों की खराबी को लेकर था और दूसरा मुद्दा अनुबंधित ढाबा संचालकों की मनमानी का रहा । चालक-परिचालकों ने बताया कि प्रबंधन ने ऐसे ढाबों के साथ अनुबंध किया हैं, जहां यात्री उतरना पसंद नहीं करते। यात्री किसी दूसरी जगह बस रोकने की मांग करते हैं ,लेकिन मजबूरी में चालक व परिचालक बस कहीं और नहीं रोक सकते। इससे यात्रियों के साथ नोकझोक होती है । जो की दोनों के लिए ही अच्छा नहीं है ।

यूनियन के सदस्यों ने बताया कि वर्तमान में रोडवेज की करीब 700 टिकट मशीन खराब हैं। करीब एक साल बाद बस अपने नियमित तरीके से चलने लगी थी मगर बहुत जल्द ही ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । इस वक्त में 1030 बसों को नियमित मार्गों पर भेजा जा रहा।

मशीन के टिकट नहीं होने के कारण अकसर यात्री परिचालकों से विवाद करते हैं। इससे परिचालक डयूटी पर जाने से इनकार करने लगे हैं। प्रबंधन ने दो माह पूर्व 500 टिकट मशीन की खरीद किए जाने का दावा किया था, जो की अब झूठ और घोटाले की ओर इशारा करता है । लेकिन अभी तक यह मशीनें नहीं मिली। बैठक में यूनियन के प्रांतीय संयुक्त मंत्री केपी सिंह, दून मंडल के अध्यक्ष प्रवीण सैनी और मंत्री जितेंद्र कुमार समेत दर्जनों कर्मचारी मौजूद रहे।

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