Uttarakhand News

यात्रियों को नहीं होगी कोई दिक्कत, GPS की मदद से हर पल ट्रैक होंगी उत्तराखंड रोडवेज की बसें

यात्रियों को नहीं होगी कोई दिक्कत, GPS की मदद से हर पल ट्रैक होंगी उत्तराखंड रोडवेज की बसें

देहरादून: रोडवेज बस चालकों की मनमानी के किस्से किसी से छिपे नहीं है। परिवहन निगम के पास हाल में इसे लेकर काफी शिकायतें पहुंची कि चालक-परिचालक निर्धारित जगहों पर बस नहीं रोककर मनमाफिक जगह पर रोकते हैं। साथ ही निर्धारित रूट से ना जाकर अलग रूट से जाते हैं। निगम ने अपनी छवि और आय को सुधारने के लिए बसों में जीपीएस लगाने का फैसला किया है।

जी हां, उत्तराखंड परिवहन निगम की सभी बसें अब हमेशा अफसरों की नजर में रहेंगी। इसे तीसरी आंख भी कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि परिवहन निगम ने अपनी 700 बसों में GPS लगाने का निर्णय किया है। इसके लिए बकायदा 56 लाख रुपए सड़क सुरक्षा कोष से मंजूर किए गए हैं। जानकारी के अनुसार प्रति बस आठ हजार रुपए तक का खर्च आएगा।

यात्रियों के लिए भी बेहतर कदम

गौरतलब है कि बसें कई बार ऑफ रूट जाती थी। यानी निर्धारित रास्ते की बजाय दूसरे रास्ते से जाती थी। बसों के आने-जाने के समय में भी खासा अंतर देखने को मिल रहा था। इसके अलावा ये भी शिकायतें आई कि निगम की बसें निर्धारित स्थानों पर नहीं रुक रही हैं। कई बार कई महत्वपूर्ण स्टेशनों पर बसें नहीं जा रही हैं। सवारी कम होने की स्थिति में निगम की बसें पूरा फेरा भी नहीं ले रही थीं।

लाजमी है कि इन सब कारणों से ना सिर्फ पहले से घाटे में चल रहे निगम को आय का नुकसान हो रहा था बल्कि रोडवेज यात्रियों को भी कई मौकों पर परेशानी झेलनी पड़ रही थी। इसलिए परिवहन निगम ने एक तीर से दो निशाने लगाने का काम किया है। गौरतलब है कि जीपीएस लगने से ऐसी बसों पर शिकंजा कसा जा सकेगा जिनके चालक-परिचालक मनमानी पर उतारू हो जाते हैं।

पहले से थी तैयारी

परिवहन निगम की बात करें तो निगम पहले से ही इस प्रक्रिया को शुरू कर चुका था। बता दें कि परिवहन निगम ने देहरादून से लखनऊ जाने वाली बस सेवा में जीपीएस लगाया था। हालांकि, कुछ समय बाद यह व्यवस्था बंद कर दी गई। निगम का मानना है कि बसों में सुरक्षित सफर और बसों के संचालन पर नजर रखने के लिए जीपीएस लगाने की जरूरत है।

इसलिए इसी साल निगम के निदेशक मंडल की बैठक में भी बसों में जीपीएस लगाने पर बात हुई थी, मगर रोडवेज की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण यह संभव नहीं हो सका। तभी इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए सड़क सुरक्षा कोष की मदद लिए जाने का फैसला किया गया। मुख्य सचिव एसएस संधु की अध्यक्षता में हुई सड़क सुरक्षा कोष समिति की बैठक में निर्णय हुआ है।

बता दें कि बसों में जीपीएस लगाने के लिए 56 लाख रुपये भी स्वीकृत किए गए हैं। इसके साथ ही बसों पर नजर रखने के लिए परिवहन विभाग में कमांड एंड कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है। जिसका लिंक परिवहन निगम के साथ साझा किया जाएगा, ताकि निगम मुख्यालय से भी इन बसों पर सीधी नजर रखी जा सके। सचिव परिवहन डा रणजीत सिन्हा ने परिवहन निगम को इस कार्य को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।

To Top