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तीन दशक पहले बने थे छात्रसंघ अध्यक्ष…क्या मेयर रौतेला करा पाएंगे हल्द्वानी में भाजपा की वापसी ?

हल्द्वानी: यूं तो जनपद की सभी विधानसभा सीटों पर ही चुनावों से पहले फोकस रहता है। लेकिन हल्द्वानी विधानसभा सीट हर बार कुछ खास फोकस रखने की अपील करती है। हल्द्वानी सीट को पूर्व कैबिनेट मंत्री व नेता प्रतिपक्ष स्व. इंदिरा हृदयेश का गढ़ माना जाता है। शायद ये भी एक कारण है कि इस सीट को हमेशा ही हॉट सीट घोषित कर दिया जाता है। साल 2002 के बाद पहली बार उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव हल्द्वानी से तीन बार विधायक रहीं इंदिरा हृदयेश के बगैर आयोजित हो रहे हैं। मगर इस बार भी ये सीट खासा रोचक मुकाबले का इंतजार कर रही है। इस बार सुमित हृदयेश व जोगिंदर रौतेला में मुकाबला टक्कर का होने वाला है।

कांग्रेस ने जहां युवा नेता और स्व. इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश को मैदान में खड़ा कर दांव खेला है तो वहीं भाजपा ने भी अनुभवी चेहरे को आगे किया है। भाजपा ने दो बार से मेयर बनते आ रहे जोगिंदर पाल सिंह रौतेला को टिकट दिया है। गौरतलब है कि इस सीट पर भाजपा से कई सारे नेता दावेदारी कर रहे थे। इनमें खुद सीएम के खास नेता से लेकर कई वर्षों से मेहनत कर रहे जमीनी कार्यकर्ताओं का नाम भी शामिल था। मगर जोगिंदर पाल सिंह रौतेला में ऐसा क्या खास रहा कि वह लगातार दूसरा बार भाजपा से विधानसभा चुनावों का टिकट लेने में कामयाब हुए। आईए एक नज़र डॉ. रौतेला के सफर पर डालते हैं…

18 जनवरी 1971 को एक सैनिक के परिवार में जन्मे काठगोदाम निवासी डा. जोगिंदर पाल सिंह रौतेला ने पढ़ाई के लिहाज से बीएससी, एमएससी के बाद पीएचडी की डिग्री भी हासिल की हुई है। उन्होंने कुछ समय अध्यापन का कार्य भी किया है। डॉ. रौतेला के पिता स्वर्गीय बीएस रौतेला सेवानिवृत मेजर थे। उनकी माता का नाम रेवती देवी है। उनकी छवि जमीन से जुड़े नेता और सरल व्यवहार वाले व्यक्ति की है। मगर राजनिति में डॉ. रौतेला आज से नहीं करीब 33 वर्षों से सक्रिय हैं। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत जीआइसी नैनीताल से हुई थी।

दरअसल डॉ. जोगिंदर पाल सिंह रौतेला ने सबसे पहले छात्रसंघ के चुनावों में जीत हासिल की थी। वह साल 1989 में जीआइसी नैनीताल में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद उन्होंने साल 1997 में पहली बार सभासद का चुनाव जीता था। उल्लेखनीय है कि डॉ. रौतेला ने दमुवाढूंगा-काठगोदाम क्षेत्र से सभासद का चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। तीन बार सभासद रहने के साथ साथ उन्हें भाजपा में कई अहम पदों पर रहने का मौका मिला। वर्ष 2008 में वह नगर पालिका सदस्य के चुनाव में उत्तराखंड में सबसे अधिक मतों से विजयी हुए। बता दें कि डॉ. रौतेला पिछले दो बार से हल्द्वानी नगर निगम के मेयर पद पर काबिज हैं।

आने वाले चुनाव डॉ. जोगिंदर पाल सिंह रौतेला के लिए एक कड़ी अग्नि परीक्षा साबित होने वाले हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि वह मेयर जरूर लगातार दो बार से बनते आ रहे हैं। लेकिन उन्हें साल 2017 विधानसभा चुनावों में स्व. डॉ. इंदिरा हृदयेश के हाथों हार मिली थी। ना जाने साल 2027 के चुनावों तक हल्द्वानी में भाजपा के लिए समीकरण कैसे होंगे लेकिन जोगिंदर रौतेला चाहेंगे कि वह इन चुनावों का पूरी तरह फायदा उठाएं। हालांकि अंतिम फैसला तो जनता के हाथों में है। देखा जाए तो सुमित हृदयेश से मुकाबला आसान नहीं होने वाला। देखना होगा हल्द्वानी की जनता किसे विधायक बनाती है।

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