नैनीताल: कामयाबी का एक रास्ता परिश्रम है। कामयाबी कोई लिंग नहीं देखती है, वो केवल लगन के आधार पर सपनों को साकार करती है। हल्द्वानी की अपूर्वा ने भी ऐसा ही किया। जिस समाज में लड़कियों को बोझ समझा जाता है, वहां अपूर्वा की कामयाबी ऐसी सोच वाले लोगों मुंह पर तमाचा मार रही है।
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उन्हें बार-बार याद दिला रही है कि बेटियों में भी कामयाबी के पर होते है जिसे समाज को समझने की जरूरत है। अपूर्वा पांडे ने आईएएस के पहले ही प्रयास में 39वीं रैंक हासिल की। उनकी कामयाबी ने पूरे क्षेत्र को गौरवान्वित महसूस कराया है। सेंट मेरीज स्कूल की पूर्व छात्रा अपूर्वा पांडे ‘मन्नू’ की कामयाबी की खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें बधाई दे रहे हैं।
अपूर्वा के पिता किशन चंद्र पांडे कोटाबाग पॉलिटेक्निक में अध्यापक है वहीं मां मीना पांडे जीजीआईसी नैनीताल में रसायन विज्ञान की शिक्षिका हैं। उनका परिवार अमरावती कॉलोनी हल्द्वानी में रहता है।
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अपूर्वा पहले ही पढ़ाई में अच्छी थी। उन्होंने अपूर्वा ने 2010 में सेंट मेरीज स्कूल से हाईस्कूल और बीरशिबा हल्द्वानी से इंटर करके जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। अपूर्वा का परिवार शिक्षा के क्षेत्र से ही जुड़ा हुआ है। चाचा डॉ. विमल पांडे, चाची सीमा पांडे नैनीताल में डीएसबी परिसर में भौतिकी के प्राध्यापक हैं। वहीं उनका भाई इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट से बैचलर ऑफ मैथमेटिक्स कर रहा है। अपूर्वा ने बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आईएसएस की तैयारी शुरू कर दी। सबसे चौकाने वाली बात ये है कि उन्होंने जो विषय लिए उसके बारे में उन्होंने पहले नहीं पढ़ा था लेकिन हल्द्वानी की बेटी के मन में कुछ और ही चल रहा था। कामयाबी ऐसी मिली जो पीढ़ी को प्रेरित करेंगी।
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अपूर्वा अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को देती है। अपूर्वा को बचपन से ही किताबे पढ़ने का काफी शाैक था। उसके अलावा वो डिबेट में भी रूचि रखती थी। यह दोनों शौक आईएएस में मददगार भी बने। कामयाबी के बाद अपूर्वा ने कहा कि कोई भी लक्ष्य पाने के लिए अनुशासन और लगन जरूरी है। लक्ष्य का परिश्रम के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है । उन्होंने इस परीक्षा के लिए पांच से छह घंटे पढ़ाई की। परीक्षा से तीन माह पहले से उन्होंने 12 घंटे प्रतिदिन पढ़ाई की। अपूर्वा का इरादा देश की शिक्षा व्यवस्था, जेंडर की समानता के सुधार के लिए कार्य करने का है। यातायात व्यवस्था में सुधार करना भी उनकी प्राथमिकता रहेगी।
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