हल्द्वानी: शहर में कूड़े की व्यवस्था के लिए निगम द्वारा बेहतर इलाज सोचा गया था। जिसके अंतर्गत गौलापार बाइपास के पास सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एंड रिसाइकिलिंग (एसडब्ल्यूएम) प्लांट का निर्माण किया जाना था। निर्माण कार्य पीपीपी मोड पर होना है। खैर फिलहाल यहां प्रस्तावित एरिया की ज़मीन खाली कराना एक कठिन चुनौती बन गया है।
आपको बता दें कि पिछले ढाई साल से चार हेक्टेयर की इस ज़मीन पर कचरा डाला जा रहा था। जिसके कारण यह जगह पूरी तरह कचरे से भर चुकी है। अब डंप कचरे को हटाने के लिए बायो माइनिंग प्लांट लगाने की तैयारी है। वैसे शासन से भी अबतक मंजूरी नहीं मिली है। प्लांट के रिक्वेस्ट फार प्रपोजल को व्यय वित्त समिति (ईएफसी) की मंजूरी मिलती है। अब ज़मीन को पहले की तरह करने के लिए बायो माइनिंग प्लांट लगाया जाना है जिसकी लागत करीबन सात करोड़ रुपये आएगी।
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दरअसल पीपीपी मोड की मुख्य शर्तों में यह भी होता है कि प्लांट के निर्माण में होने वाले खर्चे का 32 फीसदी खुद निर्माण कराने वाली कंपनी देती है। वैसे मोटे तौर पर गौलापार में यह प्लांट बनने के लिए करीब 24 करोड़ की लागत आने की उम्मीद है। जिसमें से सात करोड़ कंपनी को देना होगा।
नगर आयुक्त सीएस मार्तोलिया ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसडब्ल्यूएम प्लांट के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। जगह को पुराने स्वरूप में लाने के लिए बायो माइनिंग प्लांट लगाया जाएगा।
हल्द्वानी समेत आसपास के निकायों से रोजाना 250 टन कूड़ा डंप होने से जगह भर चुकी है। दरअसल ढाई साल पहले जुलाई 2018 में हाईकोर्ट ने पुराने ट्रंचिंग ग्राउंड पर कूड़ा डंप करने पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर शासन ने प्लांट निर्माण के लिए वन विभाग की चार हेक्टेयर जमीन 30 साल की लीज पर निगम को आवंटित की। तब से इसी जगह पर कूड़ा डंप हो रहा है।
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