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सीकर के बेटे की कहानी, घर चलाने के लिए पालतू पशु बेचे, मज़दूरी की और अब बेटा बना SDM

नई दिल्ली: हर कामयाब व्यक्ति के पीछे उसके परिवार का संघर्ष होता है। वो संघर्ष को देखते हुए ही वह बड़ा होता है और शायद वही उसे प्रेरित भी करता है। आज हम आपकों एक ऐसी प्रशासनिक अधिकारी की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पूरे राजस्थान में पहचान बनाई। साल 2018 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा में प्रदेश में 18वीं रैंक हासिल करने वाले हुक्मीचंद रोहलानिया जो मौजूदा वक्त में एसडीएम हैं। उनकी इस कामयाबी के पीछा मां का परिश्रम है।

हुक्मीचंद रोहलानिया की मां का नाम शांति देवी है। राजस्थान के सीकर जिला में खंडेला की रहने वाली शांति देवी के पांच बच्चे हैं। आर्थिक हालात भले ही अच्छे नहीं हो लेकिन शांति देवी ने बच्चों की पढ़ाई के लिए जी जान लगा दिया।

बच्चों की खातिर खेतों में मजदूरी का काम किया। उन्हें अपने बच्चों पर बहुत भरोसा था कि वो एक दिन कुछ बनकर उनका नाम रोशन करेंगे। यही कारण है कि शांति देवी ने कड़ी धूप में मजदूरी करके बच्चों को पढ़ाया। मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी बताया जा रहा है कि उन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए अपने पालतू पशुओं को बेच दिए थे।

उनके बच्चों ने भी उन्हें निराश नहीं किया। उनके एक बेटे धर्मराज रुलानियां नर्सिंग ऑफिसर हैं। वहीं उनके छोटे बेटे हुक्मीचंद एक एसडीएम अधिकारी हैं। वो पढ़ाई में अव्वल छात्र रहे। उन्होंने सीकर के नवजीवन साइंस स्कूल से पढ़ाई करते हुए इंटरमीडिएट की परीक्षा में पूरे प्रदेश में 7वीं रैंक हासिल की। हुक्मीचंद रोहलानिया ने स्कूल की पढ़ाई के बाद प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दिया था। उन्होंने RAS (Rajasthan Administrative Services) अधिकारी बनकर मां के सपने को पूरा कर दिखाया।

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