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हल्द्वानी गौला नदी में काम करने वाले हजारों मजदूरों को राहत…अब नहीं देना होगा कोई शुल्क

अवैध खनन से उत्तराखंड सरकार को बड़ा लाभ, पिछले साल वन विभाग ने वसूले ढाई करोड़ रुपए

हल्द्वानी: गौला नदी की चर्चाएं खनन सत्र के शुरू होने के साथ ही प्रारंभ हो जाती हैं। इस बार मजदूरों के लिए बड़ी पते की खबर आई है। दरअसल पहले तक मजदूरों (labourers) को नदी में काम करने के लिए जिन 250 रुपए का शुल्क (extra registration fee) कटाना पड़ता था, अब उसे खत्म कर दिया गया है। अब रजिस्ट्रेशन के नाम पर उनसे फोटो, आधार कार्ड (aadhar card) के साथ पैसे नहीं लिए जाएंगे।

गौरतलब है कि गौला (Haldwani gaula river) में करीब साढ़े सात हजार मजदूर काम कर अपने परिवार का पेट पालते हैं। ऐसे में वन निगम द्वारा बनाया गया एक नियम उनकी आर्थिक प्लानिंग को कमजोर कर देता था। दरअसल नियम (van nigam rule) यह था कि नदी में मजदूरी के लिए हर श्रमिक को वन निगम में पंजीकरण कराना होता था। जिसके लिए 250 रुपए की पर्ची कटती थी। इसके तहत वन निगम उन्हें कुछ चीजें उपलब्ध कराता था।

नियम के मुताबिक निगम पंजीकृत श्रमिकों (registered labourers) को कंबल, जलौनी लकड़ी, सेफ्टी उपकरण मुहैया कराने के साथ हेल्थ कैंप भी लगाता है। बता दें कि गौला के 13 निकासी गेटों पर वाहनों व घोड़ा बुग्गियों से उपखनिज क्रशर (crusher) और निजी स्टाक तक पहुंचाया जाता है। इससे सब मिलकर करें एक लाख से भी अधिक लोगों को रोजगार (employment) मिलता था। मजदूरों से 250 रुपए शुल्क लेने के चलते वन निगम को 18 लाख 75 हजार रुपये मिलते थे।

मगर अब इस नियम को हटा (rule demolished) दिया गया है। अब पहले रजिस्ट्रेशन के नाम पर 250 रुपये प्रति व्यक्ति नहीं लिए जाएंगे। आपको बता दें कि इससे हजारों श्रमिकों को राहत मिलेगी। इस बार भी हर बार की तरह अक्टूबर से मजदूरों का नदी में आना शुरू हो गया है। अलग अलग राज्यों से श्रमिक यहां आते हैं। सीधे तौर पर 31 मई तक बाहरी श्रमिकों का गौला किनारे डेरा रहता है। इस दौरान यह अपना छोटा सा आशियाना भी नदी किनारे ही बसा लेते हैं।

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