नई दिल्ली: यूपीआई पेमेंट को लेकर अतिरिक्त शुल्क की रिपोर्ट ने सभी को डरा दिया था। अब इस मामले में संशय दूर हो गया है। एनपीसीआई ने साफ किया है कि PPI वॉलेट को इंटरऑपरेबल UPI इकोसिस्टम का हिस्सा बनने की अनुमति मिल गई है। इससे आम ग्राहक पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा, बल्कि ये मर्चेंट और बैंक के बीच का मामला है। यानी ये मर्चेंट से वसूला जाएगा। पीपीआई एक डिजिटल वॉलेट ही है, जो यूजर को अपने पैसे स्टोर करने की सुविधा देता है। अगर आप पेटीएम और फोन पे इस्तेमाल करते हैं तो इस विकल्प के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ होंगे।
PPI चार्ज या इंटरचेंज चार्ज दरअसल, पेमेंट सर्विस मुहैया कराने वाली कंपिनयों द्वारा वॉलेट जारीकर्ताओं जैसे कि बैंकों को दिया जाने वाला शुल्क है। इसे लेन-देन स्वीकार करने, संसाधित करने और अधिकृत करने की लागत को कवर करने के लिए लगाया जाता है। मर्चेंट ट्रांजैक्शन पर इसे 1.1% की दर से लागू करने का प्रस्ताव है।
अकाउंट-टू अकाउंट मनी ट्रांसफर करने पर कोई चार्ज नहीं लगेगा, यानी आप जितना चाहें पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। इंटरचेंज चार्ज वॉलेट से अकाउंट में पैसे भेजने पर काटा जाएगा जो मर्चेंट की रकम से काटा जाएगा। ग्राहक दुकान वाले को बैंक अकाउंट के जरिए UPI पेमेंट करेंगे तो कोई चार्ज नहीं लगेगा। वहीं अगर आप किसी वॉलेट में पैसे एड करने के बाद क्यूआर कोड स्कैन कर पैसे ट्रांसफर करेंगे, तो इंटरचेंज चार्ज कटेगा। लेकिन ग्राहक को कोई सरचार्ज नहीं देना होगा।