नई दिल्ली: देशभर में रोजाना कुछ ऐसी घटनाएं सामने जरूर ती है जो युवा पीढ़ी के लिए मिसाल बनती है। जो समाज को बताती है कि इंसानियत से बड़ा ना तो कोई धर्म है ना ही कोई कर्म। केरल में आई बाढ़ ने पूरे राज्य को तहस-नहस कर दिया है। इस आपदा में 400 लोगों को अपनी जान खोनी पड़ी, जबकि हजारों पशु भी मौत के मुंह में समा गए । 50 लाख से ज्यादा लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जबकि बाढ़ ने 45,000 हेक्टेयर कृषि भूमि में धान, केले, मसालों और अन्य फसलों को नुकसान पहुंचाया है।
देशभर में केरल की मदद के लिए लोग आगे आ रहे हैं और सहायता के लिए चल रही मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं। इसी बीच एक ऐसी इंसानियत की कहानी सामने आई है जिसने हजारों लोगों का दिल जीत लिया है। केरल में एक आईएएस ऑफिसर ने अपनी पहचान छिपाकर राहत शिविर में काम किया।
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कन्नन गोपीनाथन पिछले 8 दिनों से केरल में राहत शिविरों में पीड़ितों की मदद कर रहे थे। राहत सामग्रियों को पीठ पर लादकर वो खुद ही ट्रकों पर चढ़ाते और उतारते। सबसे खास बात ये है कि इस दौरान उन्हें कोई पहचान भी नहीं पाया कि वो एक आईएएस अधिकारी हैं। बता दें कि कन्नन गोपीनाथन 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और वो दादरा एवं नागर हवेली में कलेक्टर के पद पर तैनात हैं। मूल रूप से वह केरल के कोट्टयम के रहने वाले हैं।
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बताया जा रहा है कि केरल में बाढ़ की खबर मिलते ही उन्होंने तत्काल छुट्टी ले ली और लोगों की मदद के लिए 26 अगस्त को वो अपने गृह राज्य आ गए। इस दौरान उन्होंने दादरा एवं नागर हवेली प्रशासन की ओर से 1 करोड़ रुपये का चेक केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराया और फिर राहत शिविरों में काम पर लग गए। वो आठ दिन तक अपनी पहचान छिपाकर राहत शिविर में काम कर रहे थे कि एक दिन जब एर्नाकुलम के कलेक्टर ने वहां का दौरा किया तो उन्होंने शिविरों में काम कर रहे कन्नन को पहचान लिया। उसके बाद कन्नन गोपीनाथन की पहचान सामने आई और वो पूरे देश के आदर्श बन गए हैं। उनके बारे में युवा सोशल मीडिया पर काफी पोस्ट कर रहे हैं।
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