नई दिल्ली: UPSC परीक्षाओं में कामयाब हुए हर शख्स की अपनी कहानी होती है। अधिकतर कहानियां युवाओं को प्रेरित करती हैं। तभी तो अब कई अधिकारियों को UPSC की तैयारी कर रहे युवा आदर्श मानते हैं। UPSC के नतीजे साल में भले ही एक बार आते हैं लेकिन उसमें चयनित होने वाले वर्षों तक समाज को प्रेरित करते हैं। एक मार्ग दिखाते है कि भले ही संसाधन कम हैं लेकिन एक बार चुनौतियों का सामना कर लिया जाए तो भविष्य बेहतर किया जा सकता है।
पहले प्रयास में बनें IAS देशालदान
इसी तरह की कहानी है राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में स्थित सुमालिया गाँव के कुशलदान चरण के सुपुत्र देशालदान की भी है। उन्होंने कड़ी चुनौतियों का सामना करके यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। आपकों जानकार हैरानी होगी कि देशालदान केवल 24 साल की उम्र में यूपीएससी (2017 ) उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी बनें। उन्होंने बिना कोचिंग के सफलता पाई और पूरे देश में 82वीं रैंक हासिल कर हजारों युवाओं के आदर्श बन गए।
IAS देशालदान को भाई ने किया था प्रेरित
जानकारी के अनुसार, IAS देशालदान के पिता की चाय की दुकान के जरिए घर चलाते थे। इस वजह से घर की आर्थिक स्थित अच्छी नहीं थी और बाकी भाई बहन शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रहे। देशालदान के बड़े भाई इंडियन नेवी में होने के साथ साथ उनके प्रेरणा भी थे । वे अपने अनुज को अक्सर पढाई में आगे बढ़ते रहने का उत्साह जगाते और प्रेरित करते थे। उन्ही ने देशालदान को सिविल सेवा की तैयारी के लिए ऊर्जा दी। वो जब भी छुट्टियों में घर आते थे तब वह देशाल्दान से कहते थे कि तुम बड़े होकर इंडियन फोर्स में जाना या एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस में। यहीं से उनके मन में यूपीएससी का विचार आया। उस वक्त उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा जब उनके भाई शहीद हो गए। इस समय उनकी पोस्टिंग आईएनएस सिंधुरक्षक सबमरीन में थी।
IAS देशालदान ने IIT से की है पढ़ाई
देशालदान ने 10वीं के बाद 12वीं की पढाई कोटा से की और जेईई एंट्रेंस देकर आईआईटी जबलपुर से पढ़ाई करने के बाद दिल्ली में यूपीएससी की पढाई चालू कर दी। उन्होंने बिना कोचिंग के पहले ही प्रयास में 82वीं रैंक हासिल की। आपकों जानकार हैरानी होगी कि देशालदान के पिता को ये भी नहीं पता था कि सिविल सेवा क्या होती है। देशालदान का जब चयन हुआ तो उनके पिता को नहीं पता था कि आईएएस क्या होता है। जिसमें उनके बेटे का सिलेक्शन हुआ है। इतना ही नहीं जब देशालदान तैयारी कर रहे थे, तब भी उन्हें समझ नहीं आता था कि वे क्या कर रहे हैं। लेकिन बेटे ने अपनी परिश्रम से कुछ ऐसा कर दिखाया जिसने पूरे कुल का नाम रौशन किया।
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