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उत्तराखंड के मोहन रावत फौज से रिटायर होकर बने आत्मनिर्भर, फ्री ट्रेनिंग भी देंगे…

देहरादून: स्वावलंबी होने की जिद पहाड़ के लोगों को सबसे अलग बनाती है। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि इसी वजह से स्वरोजगार शुरू होने की मुहिम को उत्तराखंड में काफी बल मिला है। आत्मनिर्भर बनने के सिलसिले को अब देहरादून निवासी एक रिटायर्ड फौजी ने और आगे बढ़ाया है। रिटायर्ड फौजी ने अपनी नाई की दुकान खोली है, जिसकी तरफ हर कोई खिंचा चला आ रहा है।

बता दें कि देहरादून दौड़वाला के रहने वाले मोहन सिंह रावत ने मार्च माह में “भूतपूर्व सैनिक नाई की दुकान” के नाम से नई दुकान खोली है। दुकान के बाहर लगा बोर्ड क्षेत्र के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है। कारगी चौक से करीब दो किमी आगे मोथरोवाला रोड पर मोहन सिंह रावत ने स्वरोजगार अपनाते हुए रिटायरमेंट के बाद अपनी यह दुकान शुरू की है।

मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले के बांसी भरदार गांव के निवासी मोहन सिंह रावत बचपन से सेना में भर्ती होकर देश सेवा करना चाहते थे। उन्होंने वर्ष 1999 में 12वीं पास करने के बाद फौज में जाने के लिए आवेदन किया था। इसके बाद उन्हें सफलता मिलने से पहले 13 बार असफलता मिली थी। 14वें प्रयास में मोहन सिंह असम राइफल में भर्ती हो गए।

मोहन सिंह की मानें तो उन्होंने सेना में रहते हुए ही बाल काटने का काम सीखा था, जिसे उन्होंने अब स्वरोजगार के रूप में अपनाया है। मोहन सिंह इससे खुद भी रोजगार पा रहे हैं और चाहते हैं कि और भी लोग इस काम को सीखें। इसके लिए वह फ्री में ट्रेनिंग देने के लिए भी तैयार हैं। खास बात ये भी है कि मोहन सिंह रावत चलने फिरने में असहाय बजुर्गों के घर पर जाकर बाल काटते हैं।

मोहन सिंह बताते हैं कि फौज में सेवा देने के कारण उनके पास सबसे अधिक रिटायर फौजी और बच्चे बाल कटाने आते हैं। हाल में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी उनकी दुकान पर जाकर हौसला अफजाई की थी। पलायन की समस्या के बीच मोहन पहाड़ के युवाओं के लिए एक मिसाल बने हैं। उनका कहना है कि पहाड़ों पर स्वरोजगार की काफी संभावनाएं हैं।

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