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स्नेहा नेगी ISRO में बनीं वैज्ञानिक,पिता के निधन के बाद मां ने दी हिम्मत अब सपना हुआ साकार

UTTARAKHAND NEWS: SNEHA NEGI ISRO: ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां बेटियों का दबदबा ना दिखा हो। किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजों पर गौर करेंगे तो बेटियों का आंकड़ा ज्यादा होगा। हम किसी की तुलना नहीं कर रहे हैं लेकिन बता जरूर रह रहे हैं कि लड़कियों को सामान अधिकार मिलना जरूरी है। जो लोग उन्हें चार दीवारी तक ही सीमित रखना चाहते हैं, उनकी सोच पर बेटियों की कामयाबी एक प्रहार कर रही है। उत्तराखंड की पहचान पूरे विश्व में खूबसूरती के अलावा बेटियों की कामयाबी से भी हो रही है। दुनियाभर के बड़े संस्थानों में उत्तराखंड की बेटियां कार्यरत हैं। इस लिस्ट में श्रीनगर की बेटी स्नेहा नेगी का नाम भी जुड़ गया है, जो ISRO में वैज्ञानिक बन गई हैं।

स्नेहा नेगी बनीं वैज्ञानिक

श्रीनगर के श्रीकोट की स्नेहा नेगी को पूरा उत्तराखंड बधाई दे रहा है। स्नेहा ने गांव से इसरो तक का सफर तय किया है। वह बचपन ने मेधावी छात्रा रहीं थी। उन्होंने कक्षा 5 वीं तक की शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर श्रीकोट गंगानाली से प्राप्त की। फिर उनका चयन नवोदय विद्यालय सतुधार पौड़ी में हो गया। इंटर पूरा करने के बाद उन्होंने बीटेक करने का फैसला किया। उन्हें जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुडदौड़ी पौड़ी में दाखिला भी मिल गया। बीटेक में भी स्नेहा ने अच्छे अंक हासिल किए। बीटेक के बाद उन्होंने एमटेक के लिए आईआईएससी बेंगलुरु में प्रवेश मिल गया। साल 2021 में गेट एग्जाम में ऑल इंडिया में 80वीं रैंक हासिल करने के बाद वो इसरो में वैज्ञानिक बनीं हैं।

रुद्रप्रयाग जिले के सतेराखाल के सुप्री गांव की निवासी स्नेहा की मां मनोरमा नेगी ने बताया कि स्नेहा ने बचपन ने परिश्रम किया है और उसका नतीजा उन्हें मिला है। उन्होंने बताया कि स्नेहा का चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान में बतौर साइंटिस्ट हुआ है। उनके पिता का निधन काफी वर्ष पहले हो गया था। स्नेहा की मां मनोरमा नेगी श्रीकोट में आंगनबाड़ी कार्यकत्री हैं। उन्होंने बेटी को हर वक्त प्रोत्साहित किया और अब बेटी ने मां के सपने को साकार कर दिया है। स्नेहा की कामयाबी ने नेगी परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे गांव को खुशी से झूमने का मौका दिया है।

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