हल्द्वानी: राज्य में क्रिकेट को लेकर दिवानगी किसी से छिपी नहीं है। साल 2018 के बाद से ये संख्या बढ़ गई है क्योंकि अब उत्तराखंड घरेलू क्रिकेट में हिस्सा लेता है। इससे पहले खिलाड़ियों को दूसरे राज्यों से खेलना पड़ना था। उत्तराखंड से निकलकर कई खिलाड़ियों ने भारतीय टीम की जर्सी पहननी है और सबसे पहले इस लिस्ट में अल्मोड़ा निवासी एकता बिष्ट का नाम आता है।
साल 2011 में एकता ने भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था। एकता इन 10 सालों में भारत के लिए तीनों फॉर्मेट खेल चुकी हैं। उनके नाम कई शानदार रिकॉर्ड भी दर्ज हैं। साल 2017 विश्वकप में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ केवल 8 रन देकर पांच विकेट झटके थे और ये मुकाबला आज भी फैंस को दिलों में ताजा है।
कोरोना काल में महिलाओं को लंबे वक्त तक क्रिकेट के मैदान से दूर रहना पड़ा है, हालांकि इस बीच घरेलू क्रिकेट में उन्हें खेलना का मौका मिल रहा था। पुरुष टीम के साथ महिला टीम भी इंग्लैंड दौरे के लिए रवाना हो रही है। भारतीय टीम करीब 7 साल बाद टेस्ट क्रिकेट खेलेगी। वहीं उसे वनडे और टी-20 सीरीज़ भी इंग्लैंड के खिलाफ खेलना है। इस सीरीज़ को लेकर टीम इंडिया काफी उत्साहित है। इंग्लैंड के लिए उड़ान भरने से हल्द्वानी लाइव डॉट कॉम ने लेफ्ट आर्म स्पिनर एकता बिष्ट से फोन पर बात की।
सवाल: पंकज पांडे: साल 2014 के बाद भारतीय टीम टेस्ट क्रिकेट में वापसी करेगी। किस तरह से आप लोग एक मुकाबले को देख रहे हैं?
जवाब: एकता बिष्ट: पूरी टीम टेस्ट क्रिकेट लेकर बेहद उत्साहित है। टेस्ट क्रिकेट सबसे चुनौतीपूर्ण होता है। उसे खेलने के लिए खिलाड़ी के पास स्किल और संयम दोनों होना चाहिए। अधिकतर खिलाड़ी इस मैच में अच्छा करना चाहते हैं और साल 2014 की तरह मुकाबले को जीतना चाहते हैं।
सवाल: पंकज पांडे: कोरोना वायरस के वजह से क्रिकेट रुका था। अब आप लोगों को क्रिकेट खेलने से पहले क्वांरटाइन नियम से गुजरना पड़ता है। एक खिलाड़ी के तौर पर कितने मुश्किल होता है क्योंकि इससे पहले शायद ही आप ग्राउंड व अभ्यास से इतना दूर रहे हो ?
जवाब: एकता बिष्ट: मैं इसे टफ नहीं कहूंगी। बतौर इंटरनेशनल खिलाड़ी आपको सभी चुनौतियों से पार पाना होता है। घर पर रहकर हम लोग अभ्यास कर रहे थे। इस दौरान अपनी कमियों पर काम कर रहे थे। क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए आपकों अपने में रोजाना सुधार लाना होगा। मार्च में घरेलू क्रिकेट में हिस्सा लिया था, अभ्यास के लिहाज से वह काफी शानदार था।
सवाल: पंकज पांडे: साल 2017 से भारतीय महिला क्रिकेट पूरी तरह से बदल गया है। फिर 2020 में वर्ल्ड टी20 के फाइनल में पहुंचना। अब आप लोगों पर भी फैंस की नजर रहती है।
जवाब: एकता बिष्ट: जब एक टीम सफल होती है तो भरोसा सबसे जरूरी होता है। साल 2017 विश्वकप में ऐसा ही हुआ। हमारी टीम को खुद पर भरोसा था। हमने अच्छा किया तो फैंस ने हमे सपोर्ट किया। आज पुरुष टीम की तरह हमें भी लोग पहचान रहे हैं। हमारे मैच देखने के लिए सैकड़ों दर्शन पहुंचते हैं और ये हर खिलाड़ी चाहता है कि उसे फैंस से भी सहयोग मिले। ऐसा होता है तो खिलाड़ी की ऊर्जा दोगुनी हो जाती है। ऐसा ही कुछ इन दोनों टूर्नामेंट ने हमारे लिए किया है, तभी हम हर टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन से अपनी छाप छोड़ते हैं। यह उन लड़कियों को भी उत्साहित करता है जो क्रिकेट में करियर बनाना चाहती है। उनके परिजन भी समझेंगे की अगर हम सहयोग करेंगे तो हमारा बच्चा भी उस मुकाम तक पहुंच सकता है।
सवाल: पंकज पांडे: कई रिकॉर्ड आपके नाम रहे हैं। जब किसी भी रिकॉर्ड के पास खिलाड़ी पहुंचता है तो उसकी सोच में कोई फर्क आता है। अगर आता है तो क्या गेम प्रभावित होता है।
जवाब: एकता बिष्ट: क्रिकेटर हर दिन अच्छा करने के लिए मैदान पर उतरता है। उसका प्रदर्शन टीम के काम आए, ये ऊर्जा ही काफी होती है। अब इस दौरान कोई रिकॉर्ड आप हासिल कर लेते हैं तो वह अलग बात होती है। हम लोगों का फोक्स टीम के फायदे पर होता है ना कि व्यक्तिगत रिकॉर्ड्स पर।
सवाल: पंकज पांडे: कई मौकों पर देखने में मिलता है कि अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी आपकों जगह नहीं मिलती है। उत्तराखंड में फैंस कई बार इस तरह के सवाल सोशल मीडिया पर पूछते हैं। आप कैसे इन चीजों से पार पाती हैं और युवाओं को बताएंगी।
जवाब: एकता बिष्ट: आपने प्रदर्शन किया है वो बात सही लेकिन कोई नया खिलाड़ी आपसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा है तो उसे चांस मिलता है। मैं मानती हूं कि डेब्यू करना आसान है लेकिन टीम में बने रहना काफी मुश्किल हैं। उससे ज्यादा टफ है वापसी करना। अब तो महिला क्रिकेट पहले से कई ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है। डेढ़ साल बाद मुझे मौका मिल रहा है और मेरा काम इसे भुनाना हैं। मैं दूसरी चीजों से ज्यादा उन चीजों पर ध्यान देती जो मेरे हाथ में हैं। यह सोच खिलाड़ी को फोक्सड रखती है।
सवाल: पंकज पांडे: साल 2018 से उत्तराखंड को भी बीसीसीआई ने मान्यता दे दी है। राज्य की टीम नई है। कई खिलाड़ी आपसे मिलते होंगे। किस तरह से उनकी भी सोच बदली है क्रिकेट को लेकर।
जवाब: एकता बिष्ट: इसमें कोई डाउट नहीं है कि उत्तराखंड में प्रतिभा की कमी है। मेरे साथ भी कई लड़कियां अभ्यास करती हैं। वहीं घरेलू मुकाबलों में भी उनकी अप्रोच देखी है। वहीं उनकी सोच भी सुधार की तरफ बढ़ चली है और ये भविष्य के लिए अच्छा है। अगर वो कुछ पूछते हैं तो एक सीनियर खिलाड़ी के रूप में मैं उन्हें मदद करती हूं। आप देखिएगा कि ये सभी खिलाड़ी अनुभव के साथ अच्छे होते चले जाएंगे। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में काफी टैलेंट है और उसे बाहर निकालने की जरूरत है।
सवाल: पंकज पांडे: आप उत्तराखंड से आते हैं। उत्तराखंड घरेलू क्रिकेट खेलने लगा है। कई खिलाड़ी अपने करियर के अंत में अपने राज्य से खेलते हैं। क्या हम मान सकते हैं कि एकता बिष्ट भी उत्तराखंड क्रिकेट से जुड़ेंगी और अपनी सेवा देंगी।
जवाब एकता बिष्ट: जी बिल्कुल, मैंने अपना क्रिकेट उत्तराखंड से शुरू किया है। भले ही राज्य में उस वक्त मान्यता नहीं थी लेकिन अब है। जब वो वक्त आएगा तो मैं उत्तराखंड क्रिकेट की बतौर खिलाड़ी व अन्य तरीके से सेवा करूंगी। अभी तो हम केवल अभ्यास के दौरान खिलाड़ियों से मिलते हैं लेकिन जब उनके साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करेंगे तो वह ज्यादा बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। ग्राउंड में वक्त बिताने बेहद जरूरी है।
सवाल: पंकज पांडे: आपने अल्मोड़ा से अपना करियर शुरू किया। वो भी उस दौर पर जहां क्रिकेट होता ही नहीं था।वहीं पहाड़ों में उस वक्त लड़कियों को खेलने की छूट नहीं मिलती थी। वहीं आपकों कब लगा कि मुझे इंडिया के लिए खेलना है। इंडियन क्रिकेट की बात स्टेट में जब भी होती है आपका नाम सबसे पहले आता है।
जवाब: एकता बिष्ट: अपनी जगह छोड़कर दूसरी जगह से खेलना हमेशा से टफ रहता है। आप आगे तभी बढ़ेंगे जब मुश्किलों का सामना करेंगे। बहाने से ज्यादा मेहनत पर फोक्स करना पड़ता है। मैं बस मेहनत करती थी और परिवार ने वो देखा और सपोर्ट किया। अल्मोड़ा से लेकर भारतीय टीम तक… मेरे कोच लियाकत अली खान सर ने हमेशा विश्वास जताया है। उन्होंने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा। मैं लंबे वक्त से क्रिकेट खेल रहीं हूं लेकिन सर ने हमेशा मुझे पहले दिन की तरह ट्रिट किया है। पिछले 20 साल से वह मेरे साथ हैं। आज भी वो मुझसे पूछते हैं कि कुछ चीज की जरूरत हो तो बताना है। इसके अलावा हाईलेंडर क्रिकेट एकेडमी के डायरेक्टर संजय ठाकुर सर ने भी मुझे वो सारी सुविधाएं दी जिसकी एक खिलाड़ी को जरूरत होती है। आपके साथ कोई ना कोई ऐसा होना चाहिए जो आपकों पूश करें ताकि आप कभी नकारात्मक नहीं सोचों। मैं कभी परेशानी में होती हूं तो दोनों सर से बात करती हूं।
सवाल:पंकज पांडे: भारतीय महिला क्रिकेट टीम में मिताली राज सबसे अनुभव खिलाड़ी हैं। जब उन्होंने खेलना शुरू किया था तब कई खिलाड़ियों से जन्म भी नहीं लिया था। बोल सकते हैं कि उनकी देखरेख में भारतीय टीम ने कामयाबी की सीढ़ी पर चलना सीखा है।
जवाब: एकता बिष्ट: वह साल 1999 से भारतीय क्रिकेट की सेवा कर रही हैं। हम सभी उनसे काफी कुछ सीखते हैं। सबसे खास हैं उनका फोक्स और अनुशासन, जिसके हम लोग मुरीद हैं। वह 21 साल बाद भी खीखने की कोशिश करती हैं और हमे बताती हैं। उनकी फिटनेस आज भी वैसी ही है जैसे पहले थी। मैं उनके साथ टीम इंडिया और रेलवे में खेल रही तो काफी कुछ सिखने को मिलता हैं। टीम में मितू दी और झूलन दी लोग युवा खिलाड़ियों को मोटीवेट करते हैं। हमारी टीम में कोई सीनियर जूनियर जैसा नहीं है, तभी हमारी क्रिकेट काफी सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
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