नैनीताल: कहने को देवभूमि ज़्यादातर अपनी सुंदरता को लेकर ही मशहूर है मगर अब काफी युवा ऐसे नए नए कारनामे या स्टार्टअप सामने ला रहे हैं जिसके दम पर उत्तराखंड देश-विदेशों में अपनी छाप छोड़ पा रहा है। स्टार्टअप और युवाओं की यह जोड़ी एक बार फिर उत्तराखंड को विश्व पटल पर प्रसिद्धि दिलाने का काम कर रही है। इस बार कहानी नैनीताल की तनुजा जलाल और उनके द्वारा शुरू किए गए इंडशॉप पोर्टल की है।
बेतालघाट की रहने वाली 22 वर्षीय तनुजा जलाल ने शहर की नौकरी केवल इसलिए छोड़ दी क्योंकि उन्हें अपने पहाड़ के लिए कुछ करना था। दिल्ली की आईटी कंपनी से जॉब छोड़ पहाड़ लौटीं तनुजा ने यहां आकर पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने का मन बनाया। उन्होंने यह सोचना शुरू किया कि वह क्या तरीका हो सकता है जिसके ज़रिए ना सिर्फ खरीदारों को उत्पाद मिले बल्कि उत्पादकों को भी ग्लोबल बाज़ार मिल सके। पूरी डिटेल स्टडी करने के बाद उनके दिमाग में आइडिया आया।
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आइडिया ऐसा कि जिसके बाद उन्होंने एक कॉमर्शियल पोर्टल लॉन्च करने का फैसला किया। एक ऐसा पोर्टल जिसके माध्यम से पहाड़ पर पैदा होने वाली जैविक दालें, कपड़े, मडुवा आदि उत्पाद देश-विदेश तक पहंचाए जा सकें। इसी कड़ी में उन्होंने इंडशॉप पोर्टल लॉन्च कर दिया। दरअसल यह आइडिया उन्हें लॉकडाउन के दौरान आया था। तब उन्होंने सोचा था कि वर्क फ्रॉम होम के ज़रिए वह पहाड़ी उत्पादों को बड़ा बाज़ार दे सकती हैं।
तनुजा जलाल के इंडशॉप पोर्टल की बदौलत ही पहाड़ के उत्पाद, कलाकृतियों और उत्पादकों को ग्लोबल बाज़ार मिल रहा है। बेतालघाट निवासी तनुजा ने दिल्ली की जॉब छोड़ने से पहले अपने गांवे से ही इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी की थी। जिसके बाद उन्होंने द्वाराहाट से पॉलीटेक्निक किया था।
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पहाड़ को आगे बढ़ाने के काम में तनुजा का साथ उनके सहपाठी रहे प्रमोद भाकुनी दे रहे हैं। तनुजा ने बताया कि पोर्टल में काश्तकार, क्राफ्ट, स्थानीय आर्ट्स से जुड़े लोगों का पंजीकरण किया जा रहा है। जिसमें प्रतिदिन चार से पांच बुकिंग आ रही हैं। अक्टूबर से शुरू हुए इस पोर्टल में पहाड़ी दाल भट, गहत, राजमा, भांग, बाजरे के आटे समेत कई स्थानीय आर्ट्स को मिला कर कुल 100 पहाड़ी उत्पाद शामिल हैं।
तनुजा जलाल बताती हैं कि पहाड़ी पिसी नूण, मडुवा आदि के लिए विदेशों जैसे इंग्लैंड, दुबई, मलेशिया, जापान आदि से डिमांड आ रही हैं। उन्होंने बताया कि सैंकड़ों लोग रोज़ाना पोर्टल में रुचि दिखा रहे हैं। साथ ही फेसबुक पर भी पोर्टल से 30 हज़ार के आस पास लोग जुड़ चुके हैं। देखा जाए तो उत्तराखंड के युवा वाकई अब अपने दिमाग और मेहनत की बदौलत देश भर में प्रसिद्धि पा रहे हैं।