देहरादून: उत्तराखण्ड के मशहूर साहित्यकार व समीक्षक भगवती प्रसाद नौटियाल का हरिद्वार रोड स्थित कैलाश अस्पताल में आकस्मिक निधन हो गया। उनकी उम्र 87 साल थी। पिछले डेढ़ हफ्तों से वो फेफड़ो की बीमारी के चलते हॉस्पिटल में भर्ती थे। उन्होंने हॉस्पिटव प्रशासन ने दो बार वेंटिलेटर में भी रखा था। उनके निधन की सूचना पर हिंदी-आंचलिक साहित्यकार, संस्कृतिकर्मियों ने उनके परिजनों से मिलकर दुख जताया है। बताया जा रहा है कि उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को हरिद्वार में होगा।
भगवती प्रसाद नौटियाल मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के गौरी कोट इडवालस्यूं पट्टी के रहने वाले थे। एक अप्रैल को उनके परिजनों ने छाती में संक्रमण की शिकायत के बाद उनके परिवार ने उन्हें कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां उन्हें दो बार आईसीयू में वेंटीलेटर पर रखा गया। इस बीच में उन्हें एक बार सामान्य वार्ड में भी ले आया गया था। डॉक्टरों की सलाह पर परिजन उन्हें घर लाने की भी सोच रहे थे। उनके निधन के समय उनकी बेटी कुसुम नौटियाल, बेटे वीरेन्द्र व धीरेन्द्र आदि उनके साथ ही थे। भगवती प्रसाद लोकसभा के केन्द्रीय पुस्तकालय के बाद डेपुटेशन पर एनएनजी के डॉक्यूमेंटेंशन विभाग में गए, उन्होंने कुछ समय गांधी शांति प्रतिष्ठान में भी काम किया।
अखिल गढ़वाल सभा के संगठन सचिव अजय जोशी ने बताया कि हिमाद्रि एनक्लेव जोगीवाला में घर होने के बावजूद भगवती प्रसाद नौटियाल पिछले पांच सालों से गढ़वाल सभा की धर्मशाला में एक कमरा लेकर रह रहे थे। उन्होंने इस अवधि में गढ़वाल सभा के त्रिभाषीय (गढ़वाली,हिंदी, अंग्रेजी) शब्दकोष पर काम किया। उनकी कई किताबें भी प्रकाशित हुई। एक किताब ‘गंगा एक सांस्कृतिक धरोहर’ भी तैयार हो चुकी है। इसका लोकार्पण कुछ दिन बाद होना था, लेकिन इससे पहले ही वह चल बसे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री रहते वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अपनी लाइब्रेरी को संवारने का जिम्मा भगवती प्रसाद नौटियाल को दिया था। उनके साथ अंतिम समय में दोनों पुत्र वीरेंद्र नौटियाल, नरेंद्र नौटियाल, पुत्री कुसुम नौटियाल के अलावा गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, महासचिव रमेंद्र कोटनाला, उपाध्यक्ष मदन ढुकलान, सांस्कृतिक सचिव पंडित उदय शंकर भट्ट, प्रवक्ता गजेंद्र भंडारी, हेमंत जुयाल, वीरेंद्र असवाल, सूर्यप्रकाश, संतोष गैरोला आदि मौजूद थे।