देहरादून: पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। आम आदमी की जेब पर भारी असर पड़ रहा है। इधर, उम्मीद के मुताबिक विधानसभा के मॉनसून सत्र में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर अच्छी खबर नहीं आई है। राज्य सरकार के अनुसार पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर राज्य कर कम नहीं किया जा सकता है।
कोरोना काल ने पिछले साल और अब इस साल आर्थिक रूप से आमजनों की कमर तोड़ कर रख दी। पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार आगे ही बढ़ते चले गए। चुनावों के नजदीक आने के बाद ऐसा लग रहा था कि राज्य सरकार इनकी कीमतों को कम करने के लिए जरूर कुछ करेगी।
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लेकिन विधानसभा सत्र में पेट्रोल व डीजल पर राज्य की ओर से लगाए गए टैक्स को कम करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। जिसके बाद ये साफ हो गया है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर राज्य टैक्स तो कम नहीं होगा।
संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत के मुताबिक वर्तमान में पेट्रोल पर 19 रुपए प्रति लीटर (राज्य कर 25 प्रतिशत) व डीजल पर 10.41 रुपये प्रति लीटर (17.48 प्रतिशत) लिया जा रहा है। पेट्रोल व डीजल पर राज्य कर को कम करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
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सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन के बढ़ती महंगाई के प्रश्न के जवाब में मंत्री बंशीधर भगत ने सदन को अवगत कराया कि एलपीजी रसोई गैस पर टैक्स निर्धारित जीएसटी के दायरे में है। इसलिए ये जीएसटी के अधीन है कि एलपीजी पर टैक्स कम हो या ना हो।
इसके साथ ही एलपीजी के बारे में फिलहाल तो सरकार की तरफ से केंद्र सरकार से कोई बात नहीं हुई है। जीएसटी में एलपीजी पर 9 प्रतिशत टैक्स लिया जाता है। इसपर विपक्ष ने सरकार को ये कह कर घेर लिया कि सरकार को आम आदमी की चिंता ही नहीं है।
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