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उत्तराखंड को यूं ही नहीं कहते प्राकृतिक स्वर्ग,भारत में पहली बार यहां मिली आर्किड की दुर्लभ प्रजाति

उत्तराखंड को यूं ही नहीं कहते प्राकृतिक स्वर्ग, भारत में पहली बार यहां मिली आर्किड की दुर्लभ प्रजाति

चमोली: लीजिए प्रदेश की उपलब्धियों की लिस्ट में एक और उफलब्धि जुड़ गई है। चमोली जिले में मशहूर आर्किड फूल की ऐसी नई प्रजाति मिली है जो भारत में आजतक नहीं देखी गई। इस लिहाज से उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है जहां आर्किड की सेफालंथेरा इरेक्टा वर प्रजाति मिली है।

चमोली जिला मंडल क्षेत्र में हाल ही में एक आर्किड संरक्षण केंद्र की स्थापना की गई है। इसे उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग के द्वारा स्थापित किया गया है। बता दें कि यहां पर करीब 70 अलग-अलग प्रजातियों के आर्किड को संरक्षित कर रखा गया है।

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अब उत्तराखंड में रेंज ऑफिसर हरीश नेगी और जूनियर रिसर्च फेलो मनोज सिंह ने एक नई प्रजाति की खोज कर डाली है। उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान विंग द्वारा लुप्तप्राय आर्किड प्रजाति की खोज की पुष्टि आईएफएस, मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने की है।

आर्किड ह्यूमस बुरांस के जंगल में 1870 मीटर की ऊंचाई खोजी गई प्रजाति जापान, चाइना और नेपाल के बाद भारत में रिपोर्ट की गई है। चमोली में स्थित आर्किड संरक्षण केंद्र में इस नई एवं दुर्लभ प्रजाति को भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) ने भारतीय वनस्पतियों की सूची के नए संस्करण के रूप में आधिकारिक तौर पर मान्यता दे दी है।

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बीएसआई ने पुष्टि की है कि सेफलांथेरा इरेक्टा को अपने नए संस्करण में जोड़ा गया है। बता दें कि प्रदेश को उपलब्धि दिलाने वाली इस टीम ने पिछले साल भी जिले में 3800 मीटर की ऊंचाई पर आर्किड लिपारिस पिग्निया की एक दुर्लभ प्रजाति की खोज निकाली थी।

तब भी हर तरफ चर्चाएं हुईं थी। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे भारत में 124 साल बाद देखा गया था। संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक आर्किड प्रजातियों के मामले में उत्तराखंड राज्य बेहद समृद्ध है। चमोली के अलावा पिथौरागढ़ में अच्छी संख्या में आर्किड की कई प्रजातियां पाई जाती हैं।

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