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क्या उत्तराखंड में होगा उपचुनाव या फिर हो सकता है बड़ा उलटफेर…

हल्द्वानी: रामनगर में भाजपा चिंतन शिविर के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जब दिल्ली दौरे के लिए रवाना हुए तो उपचुनाव और विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर चर्चा सामने आई थी लेकिन अब इस चर्चा ने दूसरा ही एंकल ले लिया है। दिल्ली में सीएम ने अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। इसके बाद भी वह दिल्ली में ही रुके हैं।

उत्तराखंड में उपचुनाव होंगे या फिर कोई बड़ा परिवर्तन होगा ये चर्चा तेज हो गई है। तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। ऐसे में 6 महीने के अंदर उन्हें विधानसभा का सदस्य बनना होगा और इसके लिए उपचुनाव चुनाव जरूरी है। अगर वह उपचुनाव में उतरते हैं तो उन्हें अपनी संसदीय सीट से इस्तीफा देना होगा। बता दें कि उत्तराखंड में हल्द्वानी व गंगोत्री विधानसभा सीट खाली है।

क्या कहता है सेक्शन 151A

रिप्रेज़ेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के सेक्शन 151A के तहत चुनाव आयोग के लिए अनिवार्य है कि वह संसद या विधानसभा में किसी भी सीट के खाली होने के छह महीने के भीतर उपचुनाव करवाए। कोरोना वायरस के खतरे तो देखते हुए चुनाव आयोग चुनाव कराने को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। कहा जा रहा है कि भाजपा उपचुनाव कराने के संबंध में आयोग के पास अर्जी दे सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि साल भर के भीतर चुनाव होने की स्थिति में उपचुनाव टालना कोई तयशुदा नियम नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक सुविधा की बात ज़्यादा है। ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरधर गमांग 1998 में लोकसभा सदस्य चुने गए थे, लेकिन 1999 में उन्हें मुख्यमंत्री पद मिला। उनकी नियुक्ति के समय से एक साल से भी कम समय के भीतर 2000 में विधानसभा चुनाव होने ही थे, फिर भी गमांग 1999 में उप चुनाव के ज़रिये विधायक बने थे।

उत्तराखंड भाजपा के पास विकल्प

उत्तराखंड में आने वाले कुछ दिन बेहद अहम होने वाले हैं। भाजपा के लिए उपचुनाव चुनाव से बाहर निकलना बिल्कुल आसान नहीं है। मुख्यमंत्री के लिए कई विधायक अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार है, क्या गंगोत्री और हल्द्वानी के अलावा भाजपा किसी और विधानसभा में उपचुनाव कराने में दिलचस्पी दिखाती है। साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगर उपचुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं रहते हैं तो उनके लिए यह अच्छे संकेत नहीं होंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मानें तो उत्तराखंड में एक बार फिर सीएम पद बदला जा सकता है और किसी विधायक को ये जिम्मेदारी मिलने के आसार भी नजर आते हैं। पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत ने गत 10 मार्च को उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का पद संभाला था। इस लिहाज से उन्हें छह महीने, यानी 10 सितंबर से पहले विधायक बनना है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व इस पेच को सुलझाने के लिए उप चुनाव की संभावना से लेकर समय पूर्व विधानसभा चुनाव और नेतृत्व में बदलाव जैसे तमाम विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहा है।

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