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सिलबट्टा उठाया और शुरू किया काम,’नमकवाली’ आंटी के रूप में शशि बहुगुणा को मिली पहचान


देहरादून: मंथन रस्तोगी: महिलाएं जगत की जननी होने के साथ साथ संसार की कर्ता धर्ता भी रही हैं। समाज को अच्छे खाद्य पदार्थ देने के लक्ष्य से आगे बढ़ रही “नमकवाली” इन दिनों चर्चाएं में है। “नमकवाली” के माध्यम से संचालिका शशि रतूड़ी महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का काम भी बाखूबी निभा रही हैं। दरअसल देहरादून में नमकवाली नामक एक पहल के तहत पहाड़ी महिलाएं देश के कोने कोने तक अपने बनाए पदार्थ पहुंचा रही है। कंपनी मुख्य रूप से सिलबट्टे पर पिसा नमक तैयार करती है। इसकी खास बात ये है कि ये बिल्कुल नैचुरल व ऑर्गेनिक है। इसके अलावा कंपनी घी भी तैयार करती है। (NAMAK WALI AUNTY IN UTTARAKHAND)

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शशि बहुगुणा रतूड़ी बताती हैं कि नमकवाली की शुरुआत चंद महिलाओं के साथ करीब 2017 में हुई थी। तब हमारी सोच यही थी कि क्यों ना सिलबट्टे से बने नमक को मार्केट में उतारा जाए। इसके बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने भी काफी मदद की है। उन्होंने बताया कि मुंबई से कोलकाता या देश का शायद ही कोई बड़ा शहर हो, जहां अबतक उन्होंने सप्लाई ना की हो। ( STORY OF SHASHI BAHUGUNA RATURI)

सन 1982 से समाज हित में कार्य कर रही शशि रतूड़ी ने टिहरी से लेकर अल्मोड़ा कई जगह महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम किया है। उन बच्चों की देखरेख के लिए बालवाड़ी स्कूल खोलने का नेक काम किया, जिनकी माताएं काम पर जाने के कारण उनकी देखभाल नहीं कर पाती। ( UTTARAKHAND SHASHI BAHUGUNA RATURI)

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शशि रतूड़ी ने बताया कि नमकवाली का मुख्य उद्देश्य ही आमजन तक शुद्ध खाद्य पदार्थ पहुंचाना और महिलाओं को स्वरोजगार देना है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है। प्रदेश की महिलाएं भी अब धीरे धीरे इस तरफ कदम बढ़ा रही हैं। उन्होंने बताया कि नमकवाली में भी बीते सालों में डिमांड के साथ साथ सप्लाई के लिए महिलाओं की संख्या बढ़ती गई है।

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बता दें कि नमकवाली घी और नमक के अलावा कई तरह के मसाले भी तैयार करती है। जो कि पूरी तरह पहाड़ी तरीकों व तत्वों से मिलकर तैयार किए जाते हैं। नमक व मसालों में खास बात तो सिलबट्टे से ही आ जाती है। एक तरफ जहां, सिलबट्टे का चलन खत्म होता जा रहा है। वहीं ये महिलाएं इसी के इस्तेमाल से रोजगार बना रही हैं। शशि रतूड़ी ने सभी उपभोक्ताओं को धन्यवाद भी दिया है।

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