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किसान बिल का हल्द्वानी में विरोध, रैली निकाली और तिकोनियां में दुकानों को कराया बंद-वीडियो


किसान बिल का हल्द्वानी में विरोध, रैली निकाली और तिकोनियां में दुकानों को कराया बंद-वीडियो

हल्द्वानी: जिले के कुछ हिस्सों में किसान बिल के विरोध में किसानों व विपक्षी दलों के आह्वान पर भारत बंद का असर देखने को मिला है। हल्द्वानी नैनीताल रोड पर किसानों के समर्थन में रैली निकाली गई और दुकानों को बंद कराया गया। इसके अलावा बुद्ध पार्क पर कांग्रेस व अन्य दलों ने धरने पर बैठकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध किया। उन्होंने कहा कि धान खरीद केंद्रों पर किसानों को तमाम परेशानी का सामना करना पड़ा था। रजिस्ट्रेशन के बावजूद धान नहीं खरीदा गया। और समय से भुगतान का वादा भी झूठा निकला।

बता दें कि ऑल इंडिया किसान संघर्ष को ऑर्डिनेशन कमिटी के बैनर तले बुलाए गए भारत बंद में देशभर के 400 से ज्‍यादा किसान संगठन शामिल हैं।  मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस  समेत दर्जन भर राजनीतिक दलों ने भी बंद का समर्थन किया है।किसानों ने भारत बंद के लिए मर्यादा सूत्र का ऐलान किया है, जिसके तहत कहा गया है कि चक्का जाम सिर्फ शाम तीन बजे तक रहेगा। इसके अलावा कहा गया है कि भारत बंद के तहत सभी बाजार, दुकान, सेवाएं और संस्थान बंद रहेंगे। किसान दूध, फल, सब्जी आदि कोई भी उत्पाद लेकर बाजार नहीं जाएंगे।

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उत्तराखंड में पुलिस की ओर से साफ कर दिया गया है कि बाजार बंद को लेकर कोई जबरदस्ती नहीं होगी। अगर कोई ऐसा करता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई। किसानों के विरोध की आड़ में माहौल खराब करने वालों पर पुलिस की नजर बनी हुई है।

माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “नया कानून कंपनियों को फसल खरीद की सीधी छूट देता है। कम्पनियां में धन्ना सेठ अपने धनबल के दम पर उपज खरीदी पर अपना एकाधिकार जमा लेंगे। ये कानून पूरे देश में ठेका खेती लाने के लिए कंपनियों को छूट देता है।राज्य सरकारें भी इस पर रोक नहीं लगा सकती।इससे अघोषित रूप से ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ का खात्मा हो जाएगा और किसान मंडियों पर बड़ी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा और बड़ी कंपनियों को अधिकतम मुनाफा कमाने की गारंटी होगी।किसान और मजदूर कंपनियों के गुलाम हो कर रह जाएंगे।”

उन्होंने कहा कि, “किसान आंदोलन के विरोध में भाजपा के नेताओं का अनर्गल प्रलाप जारी है, वे खेती व किसानी बचाने के इस महाअभियान को अपने स्वभाव के मुताबिक दुष्प्रचारित करने में उतर गए हैं. भाजपाई कह रहे हैं कि इसमें देशद्रोही ताकतें शामिल हैं> लेकिन जो पार्टी किसानों की न हो सकी, उससे बड़ा देशद्रोही कौन हो सकता है?”

“भारत बंद” के समर्थन में किये गए प्रदर्शन के माध्यम से सभी संगठनों ने एकस्वर में केंद्र की मोदी सरकार से मांग की कि किसान विरोधी काले कानूनों को तत्काल रद्द करे, प्रस्तावित बिजली कानून-2020 वापस ले और सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की गारंटी की जाय।

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