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उत्तराखंड में अब मौकों की कमी नहीं,केवल 15900 में शुरू करें अपना काम: बिष्ट उद्योग


हल्द्वानी: उत्तराखंड में सैकड़ों लोग पलायन करने पर मजबूर हुए हैं। पिछले कुछ सालों में यह ग्राफ काफी बढ़ गया है। लोग दूसरे शहरों में नौकरी के लिए पहुंचते हैं लेकिन उनके दिल में अपने पहाड़ में रहकर अपने लोगों के लिए काम करने की इच्छा हमेशा रहती है। आपने सुना होगा कि रिटायर होने के बाद कई लोग बोलते हैं कि वह पहाड़ यानी अपने गांव चले जाएंगे और सुकून से रहेंगे। कुछ साल पहले रमेश बिष्ट भी चंपावत से हल्द्वानी रोजगार के लिए पहुंचे थे। गांव छोड़ने का मन बिल्कुल नहीं था लेकिन उन्होंने तय किया अपने काम से वह पहाड़ के लोगों को रोजगार मुहैया कराने में मदद करेंगे। इसके बाद उन्होंने बिष्ट कैंडल एंड लाइट ट्रेडिंग कंपनी खोली जो बिष्ट उद्योग के नाम से विख्यात है। पिछले एक दशक से कंपनी लोगों को सेवा दे रही है।

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कंपनी युवाओं व सभी को स्वरोजगार के मौके देने पर जोर देती है। यहां पर पेपर रूई मेकिंग डोना मशीन, पेपर कप मशीन, पेपर बैग मशीन, अगरबत्ती मेकिंग मशीन, धूपबत्ती मशीन, कपूर मेकिंग मशीन, वूलन बैग मेकिंग मशीन, साबिन व सर्फ मेकिंग मशीन, चप्पल मेकिंग मशीन, कील मेकिंग मशीन, मसाला मेकिंग मशीन, गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन, नोटबुक मेकिंग मशीन,चाऊमीन मेकिंग मशीन और रूई बत्ती मेकिंग मशीन उपलब्ध है। यह सभी मशीन कंपनी द्वारा बनाई जाती है। मशीनों की कीमत 15900 से शुरू होती है।

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प्रबंधक रमेश बिष्ट कहते हैं कि अब पहले से वक्त बदला है। युवा अपने पर्वतीय क्षेत्रों में काम करना चाहता है। हमे खुशी मिलती है कि हमारा काम पहाड़ के लोगों के काम आ रहा है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के सैकड़ों लोग कंपनी से सेवा ले रहे हैं। घरों में जाकर भी कंपनी लोगों को सेवा दे रही है। उनका कहना है कि यू तो हम पूरे भारत में सेवा दे रहे हैं लेकिन पहाड़ों में युवाओं को मंच देने में एक अलग खुशी मिलती है। इसी सोच के साथ बिष्ट उद्योग की स्थापना की गई थी। इसके अलावा हम पर्यावरण को शुद्ध रखने पर भी जोर देते हैं और पेपर का दोबारा इस्तेमाल कैसे किया जाए ये भी हम अपने ग्राहकों को सिखाते हैं।

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रमेश सिंह बिष्ट कहते हैं कि राज्य के मैदानी इलाकों में पहाड़ से आए लोग ही हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन सबसे बड़ी समस्या है। जब गांव में लोग नहीं होंगे तो जानकारी का आभाव होगा। इन्ही चीजों को ध्यान में रखते हुए हमारी काम कर रही है। हमें खुद तो आगे बढ़ना है और साथ दूसरों को भी आगे बढ़ाना है।लॉकडाउन के बाद पलायन आयोग की रिपोर्ट राहत देती है। 71 प्रतिशत प्रवासी वापस नहीं लौटे हैं और अपने घर पर रहकर स्टार्टअप कर रहे हैं। इस मामले में अल्मोड़ा पहले नंबर है। रमेश बिष्ट कहते हैं कि यह चीजे युवाओं को उत्साहित करती है। किसी भी जानकारी के लिए ग्राहक http://www.bishtudhyog.com/ पर जा सकर हमसे संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कंपनी ऑनलाइन ऑर्डर भी रिसिव करती हैं। किसी युवा को अगर स्वरोजगार हेतू कोई भी जानकारी हासिल करनी है तो वह 9639565309,9720412107,8979536621,7617643577 पर भी संपर्क कर सकते हैं।

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