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CAA किस लिए है ज़रूरी और क्यों हो रहा है इसका विरोध?

CAA Update: Importance of CAA: Protest Against CAA:

11 मार्च 2024 की शाम को केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर 5 साल पहले संसद से पारित हुए नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) को देशभर में लागू कर दिया है। CAA लागू होने के साथ देशभर से कई बड़े विपक्षी नेताओं की बयानबाज़ी से सियासत भी गर्म होती दिखाई दे रही है। कई मुस्लिम नेताओं का कहना है कि CAA लागू कर के मोदी सरकार ने मुस्लिमों को सन्देश देते हुए अपनी मंशा साफ़ कर दी है। इतना ही नहीं कई नेताओं का मानना यह भी है कि CAA लागू होने से मुस्लिम नागरिकों की नागरिकता छीनने तक भी बात आ सकती है। लेकिन बता दें कि इस अधिनियम के अंतर्गत ऐसा कोई नियम नहीं है जिससे किसी भी नागरिक (मुस्लिम या गैर मुस्लिम) की नागरिकता छीनी जा सके। CAA उन गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए लागू किया गया है, जिन्हें पकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अपने धर्म के कारण प्रताड़ना का सामना करना पड़ा हो और वे उस प्रताड़ना से राहत पाने के लिए भारत की शरण में आए हों।

8 अप्रैल, 1950 को भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने नेहरू-लियाकत समझौते या दिल्ली समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें कहा गया था कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को राजनीतिक या अन्य कार्यालयों में तैनात होने और अपने देश के नागरिकों और सशस्त्र बलों में सेवा करने के लिए सार्वजनिक जीवन में भाग लेने का समान अवसर दिया जाएगा। इस समझौते के अंतर्गत भारत आज तक अपना वादा निभाता आया है लेकिन हमारे पड़ोसी देश अपना वादा निभाने में विफल साबित हुए हैं।

पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या 22% से घटकर 7% हो गई है। वहीं, भारतीय अल्पसंख्यकों की आबादी 23% से 30% तक बढ़ गई है। यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में गैर- मुस्लिम अल्पसंख्यकों की कमजोर स्थिति को उजागर करता है। जहाँ पड़ोसी देशों में गैर मुस्लिम समुदाय को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है वहीं भारत में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सीईसी और सीजेआई जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर मुस्लिम समुदाय के लोग कार्यरत रह चुके हैं। 2014 के बाद गैर मुस्लिम शरणार्थियों के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी भारत से शरण मांगी और भारत ने उदारता का उदाहरण देते हुए 560 मुस्लिमों को भी भारत में रहने की अनुमति दी है।

बता दें कि नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 2(1)(B) में प्रावधान है कि जो प्रवासी बिना पासपोर्ट, वीजा और यात्रा दस्तावेजों के भारत आते हैं, या जिनके पासपोर्ट और वीजा की अवधि समाप्त हो चुकी है, उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है। लेकिन अब, 06 श्रेणी जिनमें हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई हैं, जो तीन देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आते हैं, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा। नागरिकता अधिनियम की एक नई धारा 6 (B) में प्रस्ताव है कि यदि धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोग निर्दिष्ट शर्तों को अपनाकर अपना पंजीकरण कराते हैं, तो वे नागरिकता प्राप्त कर सकेंगे। सियासी बयानबाज़ी के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने CAA लागू करने को भारतीय संविधान निर्माताओं का सपना पूरा होना बताया है।

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