नैनीताल: कोरोना काल में बहुत लोगों की जानें जा रही हैं। इस दौर के बुरे प्रभाव किसी से छिपे नहीं हैं। लिहाजा चिड़ियाघर के जानवरों के लिए इस दौर में कुछ सकारात्मकता ज़रूर दिखी है। लोगों के प्रवेश बंद होने के बाद नैनीताल चिड़ियाघर के जानवरों के व्यवहार में खासे बदलाव देखे गए हैं। इसे भीड़ से दूर रहने का ही कारण माना जा रहा है।
दरअसल कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए नैनीताल चिड़ियाघर को एक मई से पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। हालांकि इससे चिढ़ियाघर की आय ज़रूर ठप हुई मगर वन्य जीवों के लिए यह वक्त चांदी हो गया। जानवरों को अपने मन मुताबिक बिल्कुल जंगल की तरह की शांत जीवन जीने का मौका मिल गया। खासकर बाघ, लैपर्ड व हिमालयन भालू इन दिनों अच्छे मूड में नज़र आ रहे हैं।
नैनीताल के चिड़ियाघर में इस समय तीन बंगाल टाइगर, सात लैपर्ड, चार हिमालयन भालू हैं। अब पर्यटकों की भीड़ आती थी तो इन्हें काफी पेरशानी होती थी। परेशानी इस तरह की भीड़ में आए लोग कभी आवाज़ लगाकर बुलाते थे तो कभी फोटो निकालते थे। जिससे गुस्से में आकर बाघ घूरता और दहाड़ता था। साथ ही हमेशा शांत रहने वाला भालू भी चिढ़कर गुफा में छिप जाता था।
अब चूंकि पर्यटक नहीं आ रहे हैं तो ये जीव आराम से जीवन जी रहे हैं। डिप्टी रेंजर दीपक तिवारी ने बताया कि बाघ व लेपर्ड के व्यवहार बदले से दिख रहे हैं। वे शांत होने के साथ साथ अब चिढ़चिढ़े नहीं दिख रहे। घूमना फिरना और आराम से धूप सेंकने के बाद जीव खाना पीना बेहतर ढंग से खा रहे हैं। हिमालयन भालू की कलाबाजी शुरू हो गई हैं। वह अब अपना प्राकृतिक जीवन जी रहे हैं।
इस बदले हुए व्यवहार से वाकई सब हारत में हैं। वहीं क्षेत्राधिकारी अजय रावत के अनुसार बाघ, भालू के साथ अन्य जानवरों के व्यवहार में खासी तब्दीली दिख रही है। वह शांत हैं और जंगल सा जी रहे हैं। देखा जाए तो कोरोना काल के नकारात्मक प्रभाव को छोड़ कर चिड़ियाघर के जानवरों को लिए कुछ सकारात्मकता तो ज़रूर नज़र आई है।
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