Giyanwapi Case: 18 दिसंबर 2023 को इलाहबाद उच्च न्यायलय में हुई ज्ञानवापी मामले की सुनवाई दोनों पक्षों को बेचैन करने वाली रही। जहाँ एक तरफ ASI सर्वेक्षण पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम पक्ष कई बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका था फिर भी हिन्दू पक्ष की मज़बूत दलीलों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आर्किओलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) को सर्वे करने की अनुमति दे दी थी।
ज्ञानवापी परिसर में बने वजूखाने पर महादेव के साथ हिन्दू आस्था के हो रहे अपमान से आक्रोश के रूप में शुरू हुए इस प्रदर्शन ने बीतते समय के साथ जागरूकता का रूप लेकर पूरे देश के हिन्दू एवं मुस्लिम समुदाय का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया।
हिन्दू पक्ष की तरफ से इस केस को लड़ रहे वरिष्ठ एवं अनुभवी अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ASI द्वारा सर्वेक्षण की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने पर अपना विरोध जताया और बताया की आज तक के इतिहास में ऐसा कोई प्रावधान नहीं बना है जो जांच के परिणाम से देश को अंजान रखा जाए और साथ में इस कृत्य से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना होने की बात कही।
मुस्लिम पक्ष ने अपने अथक प्रयास से ASI सर्वे रोकने की हर कोशिश की परन्तु विफलता के बाद सीलबंद लिफ़ाफ़े में सर्वेक्षण रिपोर्ट को इलाहबाद हाईकोर्ट में पेश करने का प्रस्ताव रखा था जिसे कल कोर्ट द्वारा स्वीकृति मिल गई थी।
याचिकाकर्ता भी इस निर्णय से खुश नहीं नज़र आ रहे क्योंकि वह भी जानना चाहते हैं कि जब मामला हिन्दू आस्था और मुस्लिम पक्ष के दावे का है तो अब यह बात कोर्ट तक सीमित नहीं रही, जांच कि प्रतीक्षा में महीनों गुज़र जाने के बाद भी इसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है?
एक तरफ इलाहबाद उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है तो वहीं हिन्दू पक्ष को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की सभी याचिकाओं को खारिज भी कर दिया है और अपने निर्णय को सुरक्षित रखते हुए यह आधिकारिक बयान भी जारी किया कि जांच होने तक विवादित ढाँचे को मंदिर या मस्जिद बिलकुल भी ना माना जाए।