Uttarakhand Budget Session: Conspiracy Solved: RTI Power: MLA’s Irresponsive Behaviour:
उत्तराखंड का 2024 बजट सत्र कई कारणों से चर्चा में रहा। जहाँ एक तरफ देश को नई दिशा दिखाने के लिए समान नागरिक संहिता UCC बिल पास कराया गया। वहीं गैरसैण में प्रस्तावित यह सत्र देहरादून में आयोजित किया गया। गैरसैण को राज्य की अस्थायी राजधानी इसलिए घोषित किया गया था ताकि पहाड़ी क्षेत्रों में भी विकास हो सके और युवाओं को नए अवसर मिलें। गैरसैण में इस सत्र का आयोजन ना होने के पीछे का कारण अब RTI के माध्यम से सबके सामने आ गया है। जी हाँ, यह कारण मौसम, व्यवस्था, सड़कें आदि नहीं बल्कि जनता द्वारा चुने गए विधायक ही हैं। इस खबर में उन सभी नेताओं के नामों का खुलासा होगा।
मंडी समिति देहरादून के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र सिंह आनंद ने RTI लगाकर इन सभी नेताओं के नामों का खुलासा किया है। आनंद बताते हैं कि 26 फ़रवरी को देहरादून विधानसभा के बहार उनके प्रदर्शन में उन्होंने गैरसैण में यह सत्र आयोजित ना होने का कारण पूछा था। कोई जवाब ना मिलने के बाद आनंद ने अपनी पहली RTI विधानसभा कार्यालय में दाखिल की। पहली RTI के उत्तर में आनंद को कोई भी जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय सचिवालय में आरटीआई लगाकर के उक्त नाम को सार्वजनिक किए जाने को लेकर एक पत्र प्रेषित किया। दूसरी RTI के उत्तर में मुख्यमंत्री कार्यालय सचिवालय द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई गई। इस जानकारी में 24 विधायकों का नाम सामने आया। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इन 24 नामों के अलावा 14 अन्य नाम भी शामिल हैं। जिनमें विधायकों, मंत्रियों के साथ स्वयं मुख्यमंत्री के शामिल होने की भी बात सामने आ रही है।
देवभूमि कहे जाने वाले हमारे राज्य के सभी नेताओं को यह बात मन में रखनी चाहिए कि उन्हें जनता चुनती है। यह चुनाव विकास, उन्नति और जीवन स्तर में बदलाव के लिए होता है। शर्म की बात तब होती है जब यही नेता जनता को कंकड़ से छोटा और खुद को पहाड़ से बड़ा समझने लगते हैं। बुखार का बहाना बनाकर पहाड़ों की शरण ठुकराने वाले यह सभी नेता जनता की नाराज़गी के समान अधिकारी हैं। योजनाओं का ढोल पीटने वाला सत्ता पक्ष हो या विफलताओं का अलाप लगाने वाला विपक्ष, इन सभी नेताओं को हमेशा जनता के प्रतिनिधि के रूप में ही काम करना होता है। शहरों के शोर और चका-चौंद की तुलना में पहाड़ियों की उपस्थिति से खिले नज़र आने वाले पहाड़ कई समय से मुरझा रहे हैं। पलायन रोकने के लिए योजना छोड़िए हमारे ये नेता पहाड़ों का रुख करने को भी तैयार नहीं हैं। सभी नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि राज्य का विकास और लोगों का अच्छा जीवन स्तर हमेशा राजनीती के सर पर ताज बनकर सजता है। जो मेहनत करता है उसे यह शोभा देता है लेकिन अपने कर्तव्यों से मुँह फेरने वालों के हिस्से में थाली, चम्मच यहाँ तक कि कटोरा भी नहीं छोड़ता।
गैरसैंण में सत्र नहीं कराये जाने को लेकर संयुक्त पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले विधायकों में आदेश चौहान विधायक रानीपुर, दुर्गेश लाल विधायक पुरोला, सहदेव सिंह पुंडीर सहसपुर, प्रमोद नैनवाल रानीखेत विधानसभा, भूपाल राम टम्टा थराली विधानसभा, अरविंद पांडे गदरपुर, कांग्रेसी विधायक तिलक रोड बेहड़ किच्छा विधानसभा, विधायक गोपाल सिंह राणा नानकमत्ता विधानसभा, बिशन सिंह चुफाल डीडीहाट विधानसभा, प्रदीप बत्रा रुड़की, कैंट विधानसभा क्षेत्र की विधायक सविता कपूर, लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र से विधायक दिलीप रावत, काशीपुर विधानसभा के विधायक त्रिलोक सिंह चीमा, डोईवाला विधानसभा से विधायक बृजभूषण गैरोला, पौड़ी विधायक राजकुमार, रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा, खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार, लालकुआं से विधायक डॉक्टर मोहन सिंह बिष्ट, भीमताल विधानसभा से राम सिंह केड़ा, रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ, गंगोलीहाट के विधायक फकीर राम, राजपुर विधायक खजान दास, हल्द्वानी के कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश, रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट शामिल हैं।